नई दिल्ली। तबियत बिगड़ने का मतलब है अस्पतालों में लंबी लाइन में लगकर डॉक्टर से मिलने का इंतजार करना। घंटों इंतजार के बाद जब नंबर आता है तो भी डॉक्टर की झल्लाहट आपकी हिम्मत तोड़ देती है। मिनटों में डॉक्टर आपसे चंद सवाल करते हैं और पर्ची पर दवाईयों की लिस्ट लिखकर अपनी फीस वसूल लेते हैं, लेकिन मुरैना में एक डॉक्टर ऐसा भी है जो राह चलते मरीजों की नब्ज टटोलकर उनका मुफ्त में इलाज करता है।
मरीज को रास्ता चलते इलाज मिले तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं होता। इस इलाज का परामर्श नामचीन डॉक्टर से मिलने पर खुशी और भी बढ़ जाती है। बीमार लोगों के चेहरे पर यही मुस्कान दे रहे हैं डॉ. योगेश तिवारी। जिला अस्पताल में पदस्थ यह डॉक्टर अस्पताल के अलावा राह चलते भी मरीजों की नब्ज देखकर दवाएं लिख देते हैं। उनकी परेशानी को खत्म कर देते हैं। जहां सरकारी अस्पतालों में अधिकांश डॉक्टर ओपीडी में भी समय नहीं दे पाते, वहीं मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. योगेश तिवारी राह चलते मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
वो ओपीडी समय पर अपने चेंबर में तैनात नजर आते हैं। वहीं रास्ते में मरीज द्वारा टोके जाने पर वो उसकी परेशानी पूछते हैं और नब्ज टटोलकर दवाएं लिखते हैं। जिला अस्पताल में पदस्थ अधिकांश डॉक्टर जहां मरीजों से झल्लाकर पेश आते हैं वहीं डाॅ. तिवारी रास्ते में भी चेहरे पर मुस्कुराहट लिए मरीज से उनकी बीमारी को समझते हैं और पूरी सादगी से जबाव देकर इलाज परामर्श देते हैं।
डॉ. योगेश तिवारी की जेब में हर समय कागज की पर्चियां मौजूद रहती हैं और कलम को वो हमेशा अपने हाथ में थामे रखते हैं। शहर में कोई भी मरीज मिलता है तो जेब से पर्ची निकालकर तत्काल उस पर दवाओं के नाम लिखते हैं और परामर्श देते हैं। डॉक्टर की यह सादगी देखकर अब मरीज भी उन्हें रास्ते में कहीं भी रोकने से नहीं हिचकते।
ऐसा करने के पीछे डॉ. योगेश तिवारी कहते हैं कि जिला अस्पताल में मरीजों की भीड़ बढ़ रही है। जिसके चलते सभी मरीजों को ओपीडी में परामर्श नहीं मिल पाता। इसलिए वो मरीजों को बाहर भी इलाज कर देते हैं। क्योंकि कई छोटी-मोटी बीमारी ऐसी होती हैं जिनके लिए किसी विशेष चेकअप की आवश्यकता नहीं होती। ऐसे मरीजों की परेशानी पूछकर उन्हें दवाएं लिख देने से उनकी परेशानी कम हो जाती है। उन्हें ओपीडी की लाइन में नहीं लगना पड़ता।