चार सालों में मोदी के कामो पर पासवान का दावा,कोई नहीं सानी इनका
एक तरफ जहाँ मोदी विरोधी खेमा लगातार अपने बिखड़े कुनबे को समेटने की कोशिश में लगा है वहीँ मोदी की फ़ौज अब और ज्यादा हमलावर होती दिखने लगी है। हलाकि मोदी के कई सहयोगी मोदी को घुड़की भी दे रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ मोदी की मजबूती के लिए उनके दूसरे सहयोगी लगातार मोदी -मोदी के नारे लगा रहे हैं। बिहार में तीन सहयोगी वर्तमान में मौजूद हैं जिसमे उपेंद्र कुशवाहा डांवाडोल या कह ले असमंजस में दीखते हैं लेकिन दूसरा सहयोगी लोक जान शक्ति पार्टी मजबूती से एन डी ए की पैरवी करते नहीं थकते। ये अलग बात है कि एस सी एस टी एक्ट पर विरोध मुखर हुआ था और एक पूर्व न्यायाधीश और वर्तमान एन जी टी मुखिया के सवाल पर संसद-बेटे चिराग ने बड़ा ही कड़ा रुख अपनाया था पर उसमे संशोधन के बाद अब उनका भी रवैया बदल चुका है।
लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया और केंद्रीय मंत्री ने अब खुलकर चुनौती भरे स्वर में कहा है कि विरोधी लाख कोशिश कर ले 2019 में कोई चारा नहीं है ,उन्हें अगर ख्वाब ही देखना है तो 2024 के लिए देख सकते हैं। फिलहाल प्रधानमंत्री के सिंहासन की कोई वेकेंसी नहीं है। हलाकि इसके बाद भी विरोधियों के लिए कहीं से कोई रास्ता नहीं दिखता है पर प्रयास करे 2024 में होनेवाली लड़ाई के लिए।
चंडीगढ़ में राम बिलास पासवान ने केंद्र की सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि कोई भी क्षेत्र हो सरकार ने लगातार विकास का काम किया है। सड़क,पानी,बिजली,किसान,दलितों-पिछडो के हित के साथ साथ आर्थिक और वैदेशिक नीति में जो सफलता मोदी जी के नेतृत्व में हासिल की गयी है उससे तो नहीं लगता,कोई विरोधी कहीं आसपास भी नजर आता हो। पासवान ने स्वीकार किया कि कुछ मामले में उनका सरकार से मतभेद जरूर था जिसे अब सुधार लिया गया है।
निश्चित तौर पर पासवान के इस तरह के वक्तव्य से शाह और मोदी को राहत मिल जाती है लेकिन लोजपा तुरंत ही घुड़की देने से बाज नहीं आती। हलाकि अभी सीटों का बटवारा अभी बिहार में तय नहीं हुआ है जो एक खास आधार होगा गठवन्धन की मजबूती का,लेकिन इस मामले में भी लोजपा ने ये संकेत दिया है कि सीटों पर ज्यादा तरद्दुद नहीं होगी और केवल जीतनेवाली सीटों पर ही उनका दल केंद्रित होगा। ऐसे में बिहार में इस गठबंधन की राह थोड़ी आसान होती दिखती है। लेकिन इन दिनों तेजस्वी और कांग्रेस जिस तरह से नितीश कुमार के बहाने मोदी और केंद्र पर हमलावर रहे हैं उससे वर्तमान गठबंधन को दिक्कते भी आ सकती है।लेकिन विरोधयों को एक मजबूत विपक्ष के रूप में एक होना पड़ेगा वरना कई विरोधी तैयार हो जाये उसका फायदा तो मोदी को ही होगा।