नई दिल्ली। एशियन गेम्स में हमारे खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और देश के लिए 15 स्वर्ण,24 रजत, और 30 कांस्य पदक जीतकर लाए। खिलाड़ियों की इस जीत ने देश का सिर गौरव से ऊंचा कर दिया। सरकार ने कई खिलाड़ियों के नाम पर इनामों की बरसात कर दी, लेकिन दिल्ली की आम आदमी पार्टी को एशियन गेम्स में कास्यं पदक जीतने वाले हरीश कुमार की सुध तक नहीं ली। आलम है कि देश के लिए पदक जीत कर लाने वाले हरीश अब एक बार फिर से अपने काम पर जुट गए हैं। राजधानी दिल्ली में ये पदक विजेता चाय बेच रहा है।
एशियाई खेलों में सेपक टाकरा में एशियाड इतिहास का पहला पदक भारत ने ही जीता है और इसका पूरा श्रेय हरीश कुमार को ही जाता है।हरीश ने संदीप, धीरज, और ललित के साथ इंडोनेशिया में सेपक टाकरा टीम स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया था।हरीश जब जकार्ता से वापस भारत लौटे तो उनका शानदार तरीके से स्वागत किया गया, और तो और उनको लाने के लिए उनके पडोसी पूरी बस लेकर गए लेकिन कुछ ही दिन बाद इस खिलाड़ी को वापस अपनी असल जिंदगी में लौटना पड़ा।
दिल्ली के मजनू के टीला में हरीश अपने पिता की चाय की दुकान पर चाय बेचते हैं। हरीश ने कहा कि चाय की दुकान हमारे परिवार की आय का एक इकलौता स्त्रोत है इसीलिए मैं चाय की दुकान पर पिता की मदद करता हूं। सुबह से शाम तक चाय बेचता हूं और इसी बीच 2 बजे से 6 बजे तक रोज चार घंटे खेल का अभ्यास भी करता हूं।उन्होंने कहा कि मैं परिवार के बेहतर भविष्य के लिए अच्छी नौकरी करना चाहता हूं, ताकि हमारा परिवार सही तरीके से चल पाए।हरीश ने सरकार द्वारा नौकरी देने के संर्दभ में कहा कि सरकार की तरफ से अभी तक ना तो हां में जवाब मिला है और ना ही मना किया गया है।
हरीश की मां ने अपने संघर्ष के दिनों के बारे में बताते हुए कहा कि हमारे बच्चे ने इस सफलता को पाने के लिए बहुत संघर्ष किया है। हरीश के पिता एक ऑटो ड्राइवर हैं और साथ में उनकी एक चाय की दुकान भी है, जिसमें हरीश उनकी मदद करता है।हरीश के संघर्ष में दो लोंगो ने उसका बहुत साथ दिया, एक उनके कोच हेमराज और दूसरा उनके बड़े भाई नवीन ने। हरीश ने कहा कि मैंने 2011 से इस खेल को खेलना शुरू किया। मेरे कोच हेमराज ने इस खेल में लाने के लिए मुझे स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) में लेकर आए जिसकी वजह से मुझे मासिक फंड और किट मिला,जिससे मैं हर दिन अभ्यास कर पाया.हरीश ने कहा कि आज मै इन दोनों की वजह से भारतीय टीम में अपनी एक जगह बना पाया। अब देखना यह है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस खिलाड़ी के लिए क्या सब करती है?