मध्यप्रदेश में ‘कमल’ ने कमल को सजा देने की लगायी गुहार,अर्जी हो सकती है ख़ारिज
सियासत का खेल अजब है। सत्ता और शक्ति की खातिर कोई भी सख्श कितना लाचार दिखता है वो अभी मध्यप्रदेश की सियासत को देखने से पता चल रहा है। सूबे में भाजपा और कांग्रेस दोनों आनेवाले चुनाव में बाजी मार लेने की फ़िराक में’एन केन प्रकारेण’ रास्ता अख्तियार करते दिख रहे हैं।
वर्तमान सरकार के मुखिया शिवराज सिंह सिंह चौहान पिछले चौदह साल की बादशाहत को आगे भी जारी रखना चाहते हैं तो वहीँ चौदह साल से सत्ता से वनवास झेल रही कांग्रेस फिर एक बार सत्ता का स्वाद चखने को बेताब है। कांग्रेस ने प्रदेश की जंग का स्टीयरिंग कमलनाथ के हाथ सौंप रखा है। अब कमलनाथ किसी भी सूरत में चूकना नहीं चाहते।
चुनावी सरगर्मी तेज़ होती जा रही है और सियासी खिलाडी हर तरह की कसरत करते दिख रहे हैं। ऐसे ही समय में वर्तमान मुखिया शिवराज ने सूबे में एक रथ यात्रा का आगाज किया। जनता के बीच जाकर अपनी उपलब्धि गिनाना,मोदी के करामात से वोटरों को रु-ब-रु कराना और एक बार फिर से सी एम की कुर्सी पर खुद को काबिज कराना। और इस यात्रा को जन-आशीर्वाद यात्रा का नाम दिया गया है।
सीएम शिवराज सिंह चौहान का हाईटैक रथ 55 दिन तक सूबे में घूमेगा और 230 विधानसभा क्षेत्रों कुल 700 सभाओं तक पहुंचेगा। यात्रा 25 सितंबर को भोपाल में कार्यकर्ता महाकुंभ पर समाप्त होनी है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की जन आशीर्वाद यात्रा महाकाल की नगरी से रवाना की गई है। यात्रा को अमित शाह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। मुख्यमंत्री चौहान का जन आशीर्वाद यात्रा रथ पहले चरण की 300 किमी के सफर पर बढ़ेगा। कहने का आशय यह कि पूरी तरह से हाई टेक संसाधनों से लैश इस रथ को विजय रथ और अश्वमेध का रथ भी कहा जा रहा है जिसे रोकने को कमलनाथ तैयार बैठे हैं।
दरअसल अब इस मामले में एक अध्याय और जुड़ गया है। अब अचानक कमलनाथ ने शिवराज के खिलाफ एक अर्जी लगायी है। ये अर्जी किसी न्यायलय या थाने में नहीं बल्कि उज्जैन के महाकाल के दरवार में लगाया है कमल ने। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने महाकाल के नाम चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी लेकर कमलनाथ खुद नहीं गए हैं,कार्यकर्ताओं ने मंदिर में जाकर पुजारी को सौंप दिया।
खबर की मानें तो कमलनाथ ने इस चिट्ठी में शिवराज सरकार पर आरोप लगाए हैं और भगवान से प्रार्थना की गयी है कि वो प्रदेश को बचा लें। बता दें कि पांच पहले 2013 में शिवराज सिंह ने महाकाल मंदिर से ही अपना प्रचार अभियान शुरू किया था। कांग्रेस ने इन पांच सालों में सरकार के अधूरे वादों को इस चिट्ठी के जरिए महाकाल को जानकारी दी।
मामला काफी गंभीर है,पांच साल पहले शिवराज ने महाकाल से वादा किया था,राज्य का कल्याण होगा। पर विरोधी का आरोप है शिवराज ने महाकाल के सामने किये वादे को निभाया नहीं,ऐसे में अब बाबा महाकाल न्याय करेंगे और शिवराज को सत्ता से उतारेंगे। ताज्जुब की बात है अब मामला भगवन के पास जा पहुंचा है। कांग्रेस के कमलनाथ को जनता पर भी भरोसा नहीं रहा,शायद उनके मन में ये शक हुआ हो कि इ वी एम की तरह जनता का भी सॉफ्टवेयर मोदी और शिवराज हैक कर लेंगे तभी तो सीधे इस ब्रह्माण्ड के आलाकमान के दरबार में न्याय मांगने चले गए। जबकि हकीकत ये होना चाहिए था कि इन्हे जनता के दरबार में जाना चाहिए था,जनता के नाम यही खत लिखते तो शायद हालात कुछ बदलते। लेकिन इन सियासतदानो के आचरण को भी आसानी से समझा नहीं जा सकता,कभी तो ये किसी ईश्वर की शक्ति से इतर अपनी शक्ति की महिमा गाते हैं पर सभी जगहों से हार के बाद फिर किसी ना किसी भगवन के दरवाजे मत्था टेकते नजर आते है।
भाजपा तो पहले से ही ईश्वरवादी परंपरा और जनता से ज्यादा ईश्वर पर भरोसा कर सत्ता हासिल करने में विश्वास रखती है,अब गुजरात और कर्नाटक में जब कांग्रेस का आलाकमान जनेऊ लेकर घूमता दिखा तो कमलनाथ को भी लगा, हो न हो महाकाल उनकी बात सुनले। अब इसे खुद और पार्टी पर से भरोसा और आत्मविश्वास का ख़त्म होना ना मान लिया जाये तो क्या? अब देखना ये है कि बिना किसी पशोपेश में पड़े उज्जैन के महाकाल क्या फैसला सुनाते हैं? अगर कमलनाथ की अर्जी पर महाकाल अपेक्षित फैसला नहीं देते हैं तो कहीं ये भी आरोप ना लग जाये कि इ वी एम और वोटरों की तरह भगवान को भी तो भाजपा ने मैनेज नहीं कर लिया? बहरहाल सुनवाई जारी है जिसका फैसला काउंटिंग के दिन महाकाल जरूर सुना देंगे। हालांकि कहा ये भी जा रहा है कि चुकि अर्जी खुद कमलनाथ ने जाकर भगवान को ना सौंप कर कार्यकर्ताओं के हाथ भेज दिया है,इसलिए अर्जी ख़ारिज भी हो सकती है।