सबरीमाला मंदिर भी सार्वजानिक,जिसकी मर्जी करे,वहां जाने से कोई रोक नहीं
दिल्ली सुप्रीम कोर्ट से सबरीमाला मंदिर मामले में एक अहम् फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वहां कोई भी जा सकता है। स्त्री,पुरुष या किसी और विभेद के साथ वहां जाने से वंचित नहीं किया जा सकता है। किसी भी मंदिर को निजी संपत्ति या जागीर के रूप में नहीं देखा जा सकता,मंदिर सार्वजानिक होते हैं। इसलिए यही बात सबरीमाला मंदिर के साथ भी लागू होता है।
दक्षिण भारत के केरल राज्य में बसा सबरीमाला श्री अयप्पा मंदिर मक्का-मदीना के बाद दूसरे सबसे बड़े तीर्थ स्थानों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में हर साल करोड़ों की तादाद में श्रद्धालुओं की भींड़ जुटती है, जिसमें केवल पुरुष ही होते हैं। केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का जाना वर्जित है। केरल राज्य के इस मंदिर में माना जाता है कि भगवान श्री अयप्पा ब्रह्माचारी थे इसलिये यहां 10 से 50 वर्ष की लड़कियों और महिलाओं का आना वर्जित है।
इंडियन यंग लॉयर्स असोसिएशन की और से इस मामले में याचिका पर सुनवाई चल रही थी। इस याचिका में इस बात की मांग की गयी थी कि सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश का अधिकार क्यों नहीं दिया जाता। इस मामले में पिछले कई सालों से कुछ और संस्थाओं और व्यक्तिगत मांग उठती आ रही थी कि महिलाओं को सामान हक़ देने की वकालत करनेवाले समाज में औरतों की उपेक्षा क्यों ?महिलाओं को भी भगवन के दर्शन,पूजा की आजादी क्यों नहीं? इस तरह का काम,अहिलओं के साथ अन्याय पूर्ण भेदभाव वाला रवैया है।
हलाकि कुछ साल पहले 2007 में इस मांग का समर्थन करते हुए एल डी एफ सरकार ने बड़ा फैसला लिया था लेकिन बाद में कांग्रेस की अगुआई वाली यु डी एफ सरकार ने इसे बदल दिया।