आज तो कमाल हो गया जी। न तो टेप फर्जी निकला… न हीं टेप की जांच कराई गई …. न हीं कोई आंतरिक कमेटी का गठन किया गया, सीधे फैसला सुना दिया गया। वो भी महज ३० मिनट के अंदर । हो गया न कमाल … अब दरअसल इस कमाल के पीछे नजर घुमाइए। क्या आप केजरीवाल के गैंग से ऐसी उम्मीद कर सकते हैं कि उनकी किसी टीम के खिलाफ कोई आरोप सार्वजनिक हो और वे उसपर त्वरित कार्रवाई कर दें। इस कार्रवाई से केजरीवाल की राजनीति के कुछ संकेत मिलते हैँ। अव्वल तो यह कि जिस टेप को शाम में एबीपी न्यूज चैनल ने मर्यादा समेत सार्वजनिक किया और उसपर उक्त मंत्री महोदय और सरकार से उनका पक्ष जानना चाहा ऐसे में िबना किसी आरोप-प्रत्यारोप के सीधे सरकार ने मंत्री संदीप कुमार को बाहर का रास्ता दिखा दिया, निश्चय ही वो टेप केजरीवाल और उऩकी कोर टीम के पास पहले ही पहुंच चुका था। तभी आनन-फानन में मंत्री को बाहर का दरवाजा दिखाने तक का फैसला तुरत कर लिया गया।
हाल ही में पंजाब में सुच्चा सिंह मामले में मचे घमासान के बाद दिल्ली में चरित्र पर दाग लगे मंत्री को बर्खास्त करके अरविंद और उऩकी टीम ने अपने दामन को साफ करने की कोशिश की है। साथ ही दिल्ली में लगातार हो रही बारिश के बाद प्रशासनिक जिम्मेदारियां पूरी न कर पाने से भी ध्यान भटकाने में यह खबर कारगर हुई है। अगले कुछ रोज अब आरोप लगाने वाले अरविंद और उऩकी पूरी टीम को कटघरे में खड़ा करते रहेंगे और चाहने वाले यह कहकर अपनी पीठ थपथपाते रहेंगे कि हम जीरो टालरेंस वाली पार्टी हैं महज तीस मिनट के अँदर फैसला सुना दिया । न गवाह, न सबूत सीधे फैसला।
इस हालात में आम आदमी पार्टी के नेता कवि कुमार िवश्वास की लिखी चंद पंक्तियां उनकी ही पार्टी को समर्पित
“भ्रमर कोई कुमुदिनी पर मचल बैठा तो हंगामा, हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा ।
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का, मैं किस्से को हक़ीक़त में बदल बैठा तो हंगामा ।।”