तीन साल की मासूम सना को रेस्क्यू किया गया,31 घंटे की मेहनत रंग लायी
पिछले 31 घंटों से एक बोरवेल में फांसी मासूम को निकलने की कोशिश में लगे विभिन्न सुरक्षा बालों को तब कामयाबी मिली जब बुधवार की रात लगभग साढ़े नौ बजे सना को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। इस अभियान में एन डी आर एफ,एस डी आर एफ और मुंगेर की स्थानीय पुलिस ने हिस्सा लिया और मिशन को कामयाब बनाया। बोरवेल से निकालने के बाद सना को सीधे एम्बुलेंस में बैठी सना की माँ की गोद में रख कर अस्पताल ले जाया गया।
ज्ञात हो कि मुंगेर में तीन साल की एक बच्ची मंगलवार को 110 फीट गहरे बोरवेल में जा गिरी थी। अंतत: उसे एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने बचा लिया। 110 फीट गहरे बोरवेल में गिरी तीन साल की सना को करीब 31 घंटे तक ऑपरेशन चलाकर निकाल लिया गया है। मिट्टी गीली रहने के कारण बचाव दल को सना तक पहुंचने में काफी परेशानी झेलनी पड़ी।मुंगेर शहर के मुर्गिया चक इलाके में मंगलवार अपराह्न तीन बजे सना बोरवेल में गिर गई थी। वह 45 फीट नीचे जाकर प्लास्टिक के पाइप से अटक गई थी। इसके बाद से ही स्थानीय लोग और प्रशासन की टीम उसे सुरक्षित निकालने में जुट गए थे। प्रशासन ने भागलपुर और खगडिय़ा से एसडीआरफ, एनडीआरएफ और सेना को भी सहायता के लिए बुलाया था।वर्षा की वजह से ऑपरेशन में खासा परेशानी आ रही थी और बार बार गीली मिटटी के धंसने का अंदेशा हो रहा था। ऐसे में पहले एक खास गहराई तक हाथ से खुदाई कर उसके बाद फिर तिरछा टनेल बनाकर बच्ची को बाहर निकालने में सफलता हाथ लगी।चुकि जगह काफी संकरा था और वहां जे सी बी से खुदाई संभव नहीं थी इसलिए आपदा प्रवंधन विभाग के द्वारा चलाये गए इस अभियान का सुखद अंत हुआ। सना तक पहुंचने के लिए बचाव दल ने बोलवेल से करीब 10 फीट की दूरी पर 42 फीट गहरा गड्ढ़ा खोदा गया था। जेसीबी और पोकलेन की मदद से करीब 32 फीट गहरा करने के बाद मजदूरो की सहायता ली गई। स्थानीय लोगों की सलाह पर प्रशासन ने इसके लिए कुआं और कब्र खोदने वाले मजदूरों को काम में लगाया। इससे काम में तेजी आई।
इसके लिए पटना से विशेष तौर पर एक टीम बुलाई गयी जिसने बाकी लोगों के सहयोग से सना को जिन्दा बोरवेल से बहार निकल लिया। मुंगेर के पुलिस अधीक्षक गौरव और आपदा प्रवंधन की टीम से जानकारी मिली कि बुधवार की शाम साढ़े सात बजे सना तक सुरक्षाकर्मी पहुँच गए थे और ये पुष्टि कर दी थी कि सना पूरी तरह से सुरक्षित है। इसके बाद बोरवेल के पाइप में सना का पैर फंस गया था लेकिन उसे भी सफलता पूर्वक दूर कर टनेल के जरिये सना को निकाल लिया गया।
बच्ची तक पहुंचने के लिए बचाव दल के पास सीमित विकल्प था। बोरवेल से नजदीक ही संकरी गली में गड्ढ़ा खोदने के काम शुरू किया गया। खोदाई के क्रम में यह ध्यान भी रखना था कि दोनों तरफ बने भवनों को नुकसान नहीं पहुंचे। वहीं मंगलवार रात साढ़े के बाद बूंदाबांदी और बारिश ने बचाव कार्य को प्रभावित किया। गीलापन बढ़ जाने से जेसीबी और पोकलेन ने काम करना बंद कर दिया था। इसके बाद मजदूरों की सहायता ली गई।
सना के निकलने की खबर मिलते ही चारों ओर खुशी का माहौल बन गया। उसके बोरवेल से निकलने से पहले मौके पर मौजूद जवानों ने सुरक्षा घेरा बना लिया था ताकि लोगों की भीड़ से परेशानी ना हो। वहां बीच-बीच में बारिश भी होती रही।
बच्ची की सकुशल बरामदगी के लिये दुआओं का भी दौर लगातार जारी रहा। पटना समेत राज्य के अलग-अलग इलाकों से सना के लिये पूजा-पाठ और हवन किया जा रहे थे।
इस रेस्क्यू ऑपरेशन में अधिकारी समेत बिहार के मुख्यमंत्री भी हर पल की जानकारी और निगरानी स्वयं भी करते रहे और जब जहा जरूरत पड़ी साधन मुहैया कराने में मुस्तैद रहे। और इसी का परिणाम हुआ कि सना को सुरक्षित निकाल कर हॉस्पिटल ले जाया जा सका।
अभी थाईलैंड की गुफा में फंसे चौदह बच्चों और उनके एक कोच को निकालने के अभियान के बाद बिहार के मुंगेर को हिन्दुस्र्तान का थाईलैंड भी कहा जा रहा है जहाँ काफी मसक्कत के बाद जवानो ने इस अभियान को अंजाम दिया।