अठारह की बेटी ने 2018 में रच डाला इतिहास,ऐसे भी ख़ुशी के आंसू निकलते हैं
सात समंदर पार जब एक बेटी की आँखों से आंसू निकल रहे थे तो सारा देश हँस रहा था ,चारो तरफ विजय के गीत गाए जा रहे थे। सुदूर उत्तर-पूर्व की मिटटी से तैयार बेटी हिमा दास पर आज सभी नाज कर रहे हैं। किसी ने शायद ये सोचा भी नहीं होगा कि किसी दिन एक नन्ही सी खिलाडी जिसने महज दो साल पहले अपना ये करियर का आगाज किया वो उड़न-सिक्ख मिल्खा और गोल्डन गर्ल पी टी उषा से बहुत आगे निकलकर एक मिसाल कायम करेगी। असम के नगांव जिले की रहने वाली हिमा ने 51.46 सेकंड में दूरी तय करके गोल्ड मेडल जीता।अब हिमा की इस सफलता ने उसपर सोने की बरसात कर दी है। कभी फांके की जिंदगी में जीनेवाली हिमा के लिए अब सबकुछ संभव है। शुरुआती सूची के तहत हिमा को एशियाई खेलों तक ही सहायता मिलनी थी।‘हिमा को राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन के बाद मंत्रालय की टारगेट ओलिंपिक पोडियम योजना में शामिल किया गया। योजना के तहत उसे 50,000 रुपये महीने आउट ऑफ पाकेट ( ओपीए) भत्ता और ऐथलेटिक्सस्टार हिमा दास को सरकार की टारगेट ओलिंपिक पोडियम योजना के तहत 2020 तोक्यो ओलिंपिक तक आर्थिक सहायता दी जाएगी। हिमा फिनलैंड में हुई आईएएएफ अंडर 20 विश्व ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप में 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी। वह महिला और पुरुष दोनों वर्गों में ट्रैक स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय भी हैं। वह अब नीरज चोपड़ा के क्लब में शामिल हो गई हैं, जिन्होंने 2016 में पोलैंड में आईएएएफ विश्व अंडर-20 चैंपियनशिप में भाला फेंक (फील्ड स्पर्धा) में स्वर्ण पदक जीता था।
इसके लिए देशभर से उन्हें बधाई संदेश मिल रहे हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ खेल जगत के लोग भी उनकी तारीफ कर रहे हैं। जीत के बाद उन्होंने सपॉर्ट के लिए सबका धन्यवाद भी किया। हिमा दास ने दौड़ के बाद सबका शुक्रिया कहते हुए कहा था,‘विश्व जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर मैं काफी खुश हूं। मैं स्वदेश में सभी भारतीयों को धन्यवाद देना चाहती हूं और उन्हें भी जो यहां मेरी हौसलाअफजाई कर रहे थे।’ सोशल मीडिया पर राजनाथ सिंह, ममता बनर्जी, अमिताभ बच्चन, राज्यवर्धन राठौर, वीरेंदर सहवाग, रोहित शर्मा आदि लोगों ने हीमा को बधाई दी है। सभी ने उनके प्रदर्शन की तारीफ की और भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।
इन सबके पीछे एक खास सख्शियत की चर्चा आज खूब हो रही है जिसने हिमा को तराशा। एक सामान्य किसान की बेटी इस हालत में नहीं थी कि इस तरह की तैयारियों की जरूरतों को पूरा कर सके। कोई मसीहा जो हिमा को पहचान सके इसकी जरुरत थी । और उसे पहचाना कोच निपन दास ने। पहले फुटबॉल खेलकर सौ-दो सौ कमाकर खेलनेवाली हिमा का सारा जिम्मा निपन ने लिया और उसे फ़ुटबाल से एथलेटिक में लाया। आज हिमा को पूरे देश ने सर पर उठा रखा है।
अब हिमा का लक्ष है ओलम्पिक में भारत को पदक दिलाना। निश्चित ही जिस तरह से सरकार और कई संस्थाओं ने हिमा को साथ निभाने का वादा किया है ये स्वर्णपरी पूरे देश की आशा पर खरी उतरेगी।