लोकपाल देने और किसानो को किया वादा मोदी और राज्य सरकार ने नहीं किया पूरा,फिर रामलीला मैदान सा नजारा होगा क्या?
किसानो को किये गए वादे को अब छह महीने बीत गए पर सरकार सोयी हुयी है। मार्च महीने में हुए पिछले आंदोलन को इसी शर्त पर तोडा गया था कि सरकार उन सारे मुद्दों पर काम करेगी जिसे लेकर अन्ना आंदोलन को मजबूर हुए। अब जबकि छह माह में किसानों की मांगों को पूरा करने के आश्वासन के बाद भी केंद्र और प्रदेश सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। इससे नाराज किसान अब अन्ना हजारे के नेतृत्व में 2 अक्तूबर से आंदोलन करेंगे।आंदोलन की तैयारी को लेकर जय जवान जय किसान मोर्चा ने 18 अगस्त को महापंचायत बुलाई है।महापंचायत में एनसीआर के अलग अलग क्षेत्रों के किसान संगठनों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। किसानों की जमीनों व फसलों के उचित मूल्य,रोजगार समेत लोकपाल कानून लागू किए जाने एवं संविधान के अनुरूप चुनाव सुधार,पुलिस सुधार किए जाने को लेकर 23 मार्च को अन्ना हजारे के नेतृत्व में दिल्ली के रामलीला मैदान में आंदोलन शुरू हुआ था। इस आंदोलन में किसानों ने भी सात दिनों तक अनशन में शामिल होकर मांगों को पूरा कराने की बात की थी। किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए छह माह का समय दिया था। किसानो के द्वारा जारी मांगों में,किसानों को नए अधिग्रहण कानून का लाभ देने,किसानों को 64.7 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा का भुगतान करने,आबादी के मामलों का निस्तारण कराने,रोजगार दिलाने,गांवों का विकास कराने की मांग की जाती रही है। इन्ही सब मांगों को लेकर किसान रामलीला मैदान के धरने में शामिल भी हुए थे। अब किसान ठगे-ठगे से महसूस कर रहे हैं.ऐसे में फिर से आंदोलन के अलावा कोई चारा नहीं बचा है। इस आगामी आंदोलन को प्रभावी और बड़ा बनाया जा सके इसी को लेकर 18 अगस्त को किसानो की महापंचायत बुलाई गयी है। महापंचायत में गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद,फरीदाबाद,बागपत,सोनीपत,दिल्ली के विभिन्न किसान संगठनों के पदाधिकारियों को आमंत्रित किया जाएगा।
अब देखना है कि आंदोलन का पर्याय बन चुके अन्ना अगले आंदोलन को कोई धार दे पाएंगे,अपार जान समूह फिर उमड़ेगा?या फिर आंदोलन की संख्या में एक और बढ़ोतरी दर्ज कराकर आंदोलन की औपचारिकता पूरी कर ली जाएगी?क्योंकि इसके ठीक पिछले आंदोलन के स्वरुप और प्रभाव को देखा जा चुका है।