सरकार आसमान छूती तेल की कीमतों पर लगाम लगाने में नाकामियाब हो चुकी है। मुंबई में पेट्रोल की कीमतें बस 100 के आंकड़े को छूने के करीब है। डीजल की कीमतों में भी तेजी से मुश्किलेें और बढ़ गई है। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों की वजह से कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने भारत बंद बुलाई। पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ विपक्ष सड़कों पर है और सरकार अंतरराष्ट्रीय कारणों की वजह बताकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश में जुटी है। पक्ष और विपक्ष के बीच एक्सपर्ट्स ने मोदी सरकार की पोल खोल दी है। एनर्जी एक्सपर्ट ने तेल की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ इस पर लगाम लगाने का उपाय भी सुझाया। जिन एक्टपर्ट्स के कहने पर 8 साल पहले पेट्रोल को बाजार के हवाले कर दिया गया अब वहीं सरकार की पोल खोल रहे हैं।
एनर्जी एक्सपर्ट डॉ. किरिट पारिख उसी टीम का हिस्सा है, जिसने सरकार को पेट्रोल-डीजल की कीमतों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की सलाह दी थी। अब डॉ पारिख सरकार के दावे की पोल खोल रहे हैं। डॉ पारिख ने कहा कि 8 साल पहले हमने ही सरकार को पेट्रोल-डीज़ल को डिरेगुलेट करने की सलाह दी थी, लेकिन अब परिस्थिति बिगड़ गई है। ये इसलिए नहीं की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत बढ़ रही है बल्कि इसलिए ,क्योंकि केंद्र सरकार तेल पर जरूरत से ज्यादा टैक्स वसूल रही है। उन्होंने कहा कि करीब 100 फीसदी टैक्स सरकार की ओर से वसूला जा रहा है।
उन्होंने सलाह दी कि अगर लोगों को परेशानी से बचाना है तो सरकार को तेल से टैक्स को कम करना होगा। केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को तेल पर अपने टैक्स कम करने होंगे। उनके मुताबिक केंद्र को 2-3 फीसदी और राज्य सरकारों को 5 फीसदी तक टैक्स में कटौती करनी चाहिए, ताकि तेल की कीमतें कम हो सके। वहीं उन्होंने पेट्रोल-डीज़ल को जीएसटी में शामिल करने की मांग पर कहा कि अगर तेल को जीएसटी में शामिल किया जाएगा तो कलेक्शन नहीं बढ़ेगा।