अमृता के दावे को वीडियो क्लिप दिखाकर किया ख़ारिज,जरुरत पड़ी तो डी एन ए जांच संभव
पूर्व अभिनेत्री और तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की तो मौत हो गयी लेकिन उसकी मौत के बाद जयललिता की कथित बेटी होने का दावा करने वाली अमृता को राज्य सरकार ने झटका देते हुए उसकी मांग को नाजायज बताया है। तमिलनाडु सरकार ने मद्रास उच्च-न्यायालय में कहा है कि दिवंगत जयललिता पूरे जीवनकाल में कभी गर्भवती हुयी ही नहीं। इसे साबित करने के लिए सरकार ने कोर्ट के सामने कुछ ऐसे वीडियो क्लिप्स रखे जिसमे यह साफ़ दीखता है कि कहीं से भी शारीरिक संरचना से ये जाहिर नहीं होता कि जयललिता गर्भवती थी।
दरअसल मामला पूर्व सी एम जयललियता की मौत के बाद का है जब अमृता ने दावा किया कि जयललिता उसकी माँ है। इस मामले को पहले उसने 2017 में सुप्रीम कोर्ट में दायर कराया था लेकिन सुप्रीम कोर्टी ने याचिका ख़ारिज कर दी थी। उसके बाद अमृता इस मामले को लेकर मद्रास हाई कोर्ट आ गयी और इसी मामले में बीते मंगलवार को सरकार ने अपना पक्ष कोर्ट में रखा। सरकार की और से तमिलनाडु के वकील जनरल विजय नारायण ने बंगलूरू की रहने वाली अमृता द्वारा दायर मामले में बयान देते हुए कहा कि अमृता नाम की वह महिला एआईएडीएमके (ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) पार्टी की नेता रही जयललिता की संपत्ति लेना चाहती है। उन्होंने याचिकाकर्ता से ये सवाल भी किया कि उसने जयललिता के साथ कभी कोई फोटो क्यों नहीं खिचवाया या फिर कभी जयललिता के साथ क्यों नहीं दिखी।विजय नारायण ने जस्टिस एस वैद्यनाथ को साल 1980 के वीडियो क्लिप सौंपते हुए कहा कि अमृता दावा करती है कि उसका जन्म अगस्त 1980 को हुआ था। लेकिन सरकार की तरफ से सौंपी गई ये वीडियो क्लिप उसके जन्म के एक महीने पहले की हैं और एक पुरस्कार वितरण समारोह की हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट देख सकता है कि उस समारोह में जयललिता के गर्भावस्था के कोई संकेत नहीं हैं।
हालांकि कोर्ट में सुनवाई जारी है और वकील ने कहा है कि जरूरत हो तो जयललिता के रिश्तेदारों के डी एन ए रिपोर्ट अमृता के डी एन ए को मैच कराकर देखा जा सकता है। नारायण का तर्क है कि ये मामला महज महज संपत्ति हासिल करने का प्रयास भर है। वास्तविकता से अमृता का कोई लेना देना नहीं।
हलाकि अमृता ने इसके अलावा कोर्ट में ये भी मांग रखा है कि चूँकि उसकी कथित माँ हिन्दू थी इसलिए वो और उसके परिवार वाले चाहते हैं कि उनका अंतिम संस्कार हिन्दू रीति रिवाज़ से की जाये इसके लिए दफनाई गयी जयललिता को निकालकर उसका दाह-संस्कार करने दिया जाये।
गौरतलब है कि जयललिता का एक लंबी बीमारी के बाद 68 वर्ष की आयु में 5 दिसंबर 2016 को चेन्नई में निधन हो गया था। इसके बाद उन्हें मरीना बीच पर दफनाया गया। राजनीति में आने से पहले वह एक सफल अभिनेत्री थीं। जिसके बाद उन्होंने राजनीति की दुनिया में कदम रखा।
फ़िलहाल कोर्ट ने कहा है कि इसपर सुनवाई अगले हफ्ते की जाएगी।