2019 के लोकसभा चुनाव में जे डी एस को इसका फायदा मिल सकता है
आखिरकार कर्नाटक में कांग्रेस और जे डी एस के बीच तत्काल खींचतान की बात ख़त्म होने के संकेत मिल गए।दरअसल राज्य सरकार के वित्त मंत्रालय को लेकर बड़ी लड़ाई थी ,वित्त मंत्रालय खुद मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के पास है। अब बजट सत्र में हुयी इस घोषणा ने फ़िलहाल लड़ाई को विराम दे दिया है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी द्वारा 5 जुलाई गुरुवार को पेश किए गए बजट में उन्होंने 34,000 करोड़ रुपए के किसानों के ऋण माफ किए। विधानसभा में बजट भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि पहले चरण में बीते 31 दिसंबर तक के ऋणों को माफ किया है। कुमारस्वामी,राज्य सरकार में वित्त मंत्रालय भी संभालते हैं।
उन्होंने बताया कि ऋण माफी की सीमा को 2 लाख रुपये तक सीमित किया गया है।बड़े किसानो का कर्ज माफ़ नहीं किया गया है।कुमारस्वामी ने कहा,”बड़े किसानों के पास 40 लाख रुपए का ऋण है।उच्च मूल्य फसल ऋण को खत्म करने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है,इसलिए उन्होंने ऋण राशि को 2 लाख रुपये तक सीमित करने का फैसला किया है।
हालांकि सरकारी अधिकारियों और सहकारी क्षेत्र के अधिकारी जिनके पास जमीन है वह इस ऋण माफी के दायरे से बाहर हैं। इसके साथ ही वह किसान भी जिन्होंने बीते 3 साल से आयकर नहीं भरा है वह भी इस ऋण माफी का फायदा नही उठा सकेंगे।
अपने चुनावी अभियान के दौरान, कुमारस्वामी ने वादा किया था कि अगर जेडीएस सरकार में आई तो सभी ऋण माफ किए जाएंगे। पिछले मई में कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार बनाने के बाद ऋण माफी उनके और कांग्रेस के बीच विवाद की जड़ बन गई थी लेकिन बाद में इस बात पर दोनों के बीच सहमति बनी और अब बजट में घोषणा की गयी।
चूंकि राज्य का वित्त वास्तव में बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है, इसलिए कुमारस्वामी को धन की व्यवस्था करनी थी। इसलिए राज्य सरकार ने डीजल और पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी का भी फैसला लिया है। जेडी (एस) और कांग्रेस का मानना है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में ऋण छूट उनकी मदद करेगी। पिछले साल, सिद्धारमैया की सरकार ने 50,000 रुपए तक के ऋण माफ किए थे।