नई दिल्ली। देश में गोरक्षा के नाम पर हत्या का एक और मामला सामने आया है, जहां राजस्थान के अलवर में तथाकथित गोरक्षकों ने मुस्लिम युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी। भीड़ के साथ-साथ अब पुलिस कार्वाई पर भी सवाल उठने लगे हैं। पुलिस ने मामले में जिस तरह से कार्रवाई की है उसपर सवाल खड़े हो गए हैं। जहां गोरक्षकों ने शक के आधार पर मुस्लिम युवक अकबर की पीट-पीट कर हत्या कर दी तो वहीं पुलिस को घायल अकबर को 6 किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचाने में 3 घंटे से ज्यादा का वक्त लग गया। अगर पुलिस से सही वक्त पर अकबर को अस्पताल पहुंचाया होता तो शायद वो बच जाता, लेकिन पुलिस ने घायल अकबर को वहीं छोड़कर पहले गायों को गोशाला में पहुंचाना उचित समझा। पुलिस की देर से की गई कार्रवाई अब सवालों के घेरे में आ गई है।
गोरक्षा के नाम पर मुस्लिम युवक की हत्या
जानकारी के मुताबिक अलवर में गोरक्षकों ने अकबर खान उर्फ रकबर खान को पीट-पीटकर मार डाला। जब पुलिस मौके पर पहुंची तो अकबर बुरी तरह से घायल था और दर्द ने कराह रहा था। पुलिस ने गंभीर रूप से घायल अकबर खान को अस्पताल पहुंचाने से पहले घटनास्थल से बरामद दो गायों को गोशाला पहुंचाया। पुलिस को अकबर को 6 किमी दूर अस्पताल पहुंचाने में 3 घंटे से ज्यादा का वक्त लग गया। पुलिस ने घायल अकबर को वहीं छोड़ पहले 10किमी दूर गोशाला में दोनों गायों को पहुंचाया और फिर अकबर को हॉस्पिटल लेकर गए। अस्पताल के रजिस्टर के मुताबिक खान को सुबह 4 बजे वहां लाया गया था। जबकि एफआईआर के मुताबिक रात 12.41 बजे पुलिस को इस घटना की जानकारी मिल गई थी। पुलिस के मुताबिक सूचना मिलने के 15 से 20 मिनट के अंदर उनकी टीम घटनास्थल पर पहुंच गई थी। पुलिस के मुताबिक उन्हें अकबर कच्ची सड़क पर मिला। वो कीचड़ में पूरी तरह से सना था। उसे पहचान तक नहीं पा रहे थे। उसके कराहने की आवाज से हमने उसे झाड़ियों के पीछे से खोजकर निकाला।
अस्पताल के बजाए पुलिस स्टेशन ले गई पुलिस
जब पुलिस से इस देरी को लेकर सवाल किया गया तो उनके पास इसका कोई जवाब नहीं था। इतना ही नहीं जब पुलिस वहां पहुंची तो घायल मुस्लिम युवक ने खुद अपनी पहचान बताई। FIR के मुताबिक पीड़ित ने स्वयं ही अपनी पहचान अकबर खान या रकबर खान पुत्र सुलेमान खान, गांव कोल मेवात बताया था। जबकि अस्पताल के रजिस्टर में कहा गया है कि पुलिस ‘अज्ञात’ व्यक्ति को सुबह 4 बजे हॉस्पिटल लेकर आई थी। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर हसन अली के मुताबिक जब पुलिस उस अज्ञात व्यक्ति को लेकर अस्पताल आई थी तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। गांववालों ने कुछ मीडिया चैनल के साथ बातचीत में कहा कि जब पुलिसवाले अकबर को पुलिस स्टेशन ले जा रहे थे तो वो उसे मार पीट रहे थे। उसे गालियां दे रहे थे। जब अकबर अपने कपड़ों पर लगे कीचड़ को साफ कर रहा था तो पुलिस का एक सिपाही उसे डंडे से मार रहा था।
पुलिस के बयान में विरोधाभास
वहीं इस मामले में एक गोरक्षक ने दावा किया है कि उन्होंने पुलिस को इस घटना की जानकारी दी और उन्हें घटनास्थल तक ले गए थे। चश्मदीद के मुताबिक पुलिस अकबर खान को पहले अपने साथ पुलिस स्टेशन ले गई थी। अस्पताल के बजाए अकबर को पुलिस स्टेशन क्यों ले जाया गया, ये बात समझ में नहीं आती है। वहीं एफआईआर में कहा गया है कि जब पुलिस मौके पर पहुंची तो उन्होंने देखा कि कई लोग वहां से भाग रहे हैं। पुलिस ने अपने बयान में कहा कि उन्हें घटनास्थल तलाशने में वक्त लग गया, जबकि चश्मदीद का कहना है कि वो खुद अपने साथ पुलिस को लेकर वहां गया था।लालवंदी गांव के लोगों ने इस बात की पुष्टि की है कि रात करीब 1 बजे पुलिस की जीप उनके गांव में पहुंच गई थी। पुलिस के बयानों में इस तरह के विरोधाभास उसकी कार्रवाई पर सवाल उठाते हैं। हालांकि मीडिया में इन सवालों के सामने आने के बाद पुलिस के आलाअधिकारी भी हौरान है। उन्होंने अलवर पुलिस की इस कार्रवाई पर हैरानी जताते हुए कहा है कि अगर पुलिस इस मामले में लापरवाही के दोषी पाए गए तो उन के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।
सवाल:
गोरक्षा के नाम पर मुस्लिम युवक की हत्या के बाद पुलिस का ढ़ीला रवैया?
गंभीर रूप से घायल युवक को छोड़कर पहले गायों को 10किमी दूर गोशाला पहुंचाया गया?
घायल को 6 किमी दूर अस्पताल पहुंचाने में 3 घंटे का वक्त लग गया?
घायल को अस्पताल से पहले पुलिस स्टेशन ले जाया गया?
गोरक्षकों ने दावा किया है कि अकबर खान की मौत पुलिस कस्टडी में हुई है न कि भीड़ की हिंसा से ।
गोरक्षकों का दावा कि हो सकता है कि गोरक्षकों ने अकबर के साथ बदसलूकी की हो लेकिन बर्बरता नहीं।
गोरक्षक का दावा है कि पुलिसकर्मी अकबर को मारते और गालियां देते रहे।
उनका कहना है कि अकबर जब अपने शरीर पर लगे कीचड़ की सफाई कर रहा था, उस समय पुलिसवाले उसकी पिटाई कर रहे थे।