भाजपा ख़राब हो रही छवि को सुधारेगी,पाठ्यक्रम में होगा बदलाव
एन सी ई आर टी की राजनीति शास्त्र की किताब से बीजेपी को गोधरा दंगे और हिंदूवादी सोच की पार्टी बताने वाले अध्याय और विषय को हटाया जाएगा। इन बातों पर केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने एक बड़ा वक्तव्य दिया है। राजयमंत्री ने इस बात को रखें चाहा कि गोधरा कांड से जुड़े तथ्य लोगों को भ्रमित करते हैं और इससे लगता है की भाजपा केवल हिंदुत्व के अजेंडे पर चलती है।
उन्होंने कहा कि एन सी ई आर टी की किताब में सरकार जल्द संशोधित करेगी, क्योंकि इसमें गोधरा दंगे के बारे में गलत दर्शाया गया है और बताया गया है कि बीजेपी देश-विदेश में हिंदुत्व के एजेंडे पर काम करनेवाली पार्टी है। 2004 के बाद इसमें कोई सुधार नहीं हुआ है इसलिए इसमें बदलाव और सुधार की जरुरत है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा,”यह बात कल ही मेरे सामने आई है,हालांकि मेरे पास स्कूली शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी नहीं है,लेकिन इसमें सुधार जरूर किया जाएगा।” वैसे भी हमारे वरिष्ठ मंत्री इस बारे में बयान दे चुके हैं। जल्द ही इस पर कार्रवाई की जाएगी। अभीतक इस पुस्तक के एक अध्याय में यह बताया गया है कि भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व को बढ़ाने वाली पार्टी रही है और लोग उसे इसी नजरिये हैं।अब समय आ गया है कि ऐसे बातो को हटाया जाना चाहिए।
6 जुलाई को एक कार्यक्रम के दौरान सत्यपाल सिंह ने छात्रों को धर्म के बारे में विस्तृत अध्ययन करने की जरुरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि लोगों को बताया जाना चाहिए कि उनका धर्म क्या है? इससे पहले मध्य प्रदेश के स्कूली शिक्षा विभाग के राज्यमंत्री दीपक जोशी ने कहा था,’सूबे के सीबीएसई से संबद्ध निजी स्कूलों में यह किताब पढ़ाई जा रही है। हम इस किताब के अध्याय में आपत्तिजनक तथ्यों पर संशोधन करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र लिख रहे हैं।’
राजनीति शास्त्र की इस किताब के ‘स्वतंत्र भारत में राजनीति’ अध्याय में बीजेपी और कांग्रेस के बारे में विस्तार से लिखा गया है। इसमें बीजेपी को कथित तौर पर हिन्दू एजेंड वाली पार्टी बताया गया है। किताब में गोधरा में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा का उल्लेख है और इस हिंसा में 1100 लोगों के मारे जाने का जिक्र है।
गोधरा हिंसा के समय देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे और उन्होंने गुजरात सरकार को राजधर्म निभाने के सीख दी थी। फिलहाल यह किताब मध्य प्रदेश में केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल से सम्बद्ध निजी स्कूलों में पढ़ाई जा रही है, जबकि सरकारी स्कूलों में अगले साल से यह पाठ्यक्रम लागू किया जाना है।
ऐसे में मंत्री सत्यपाल के वक्तव्यों का विपक्ष ने पुरजोर विरोध शुरू कर दिया है और कहा है कि किताबों में जो कुछ लिखा गया है विद्वानों ने गहन अध्ययन और चिंतन के बाद लिखा है जिससे इंकार नहीं किया जा सकता है। अब देखना ये है कि मानव संसाधन मंत्रालय इस पर कबतक कार्यान्वयन करता है और विरोधियों की दलीलों का क्या जबाब दिया जाता है?