आधी दुनिया के हाथ ताकत,आत्मविश्वास से लवरेज महिलाएं बनी मिसाल
उस समय का नजारा बड़ा ही खुशनुमा और दर्शनीय था जब दानापुर में एक प्लेटफार्म से एक मालगाड़ी हरा सिग्नल मिलते ही चल पड़ी।यूँ तो रोज हजारो मालगाड़िया रेलवे स्टेशनों से गुजरती है लेकि ये जो मालगाड़ी थी वो खास इसलिए थी क्योंकि इसे चलाने की कमान किसी पुरुष के हाथों में नहीं था,बल्कि इसे चला रही थी दो बेटियां। इतना ही नहीं इस मालगाड़ी को आगे बढ़ने की इजाजत देनेवाली यानि कि ट्रेन को हरी झंडी दिखानेवाली भी एक बेटी ही थी। जी हाँ पहली बार ऐसा हुआ जब पूरी मालगाड़ी बेटियों के हवाले चल पड़ी थी। लोग तालियां बजाकर बेटिओं की हौसलाअफजाई कर रहे थे।
पूर्व-मध्य रेलवे के दानापुर डिवीज़न में महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनी ये टीम बेटियां थी,सहायक पायलट विभा,सहायक पायलट सोनी और गार्ड स्वाति। गार्ड बेटी और सहायक पायलट ने एक दूसरे को हरी झंडी दिखाई और मालगाड़ी चल पड़ी। सहायक पायलट सोनी और विभा ने तय दूरी को तय कर पूर्व-मध्य रेल जॉन में एक कीर्तिमान बनाया।
हलाकि अभी तक भारतीय रेल में महिलाये पायलट सवारी-गाड़ियां चला चुकी है किन्तु अभी तक मालगाड़ी महिलाओं के हवाले नहीं किया गया था। इसकी तकनिकी वजह ये थी कि मालगाड़ियों के गार्ड डिब्बे में शौचालयऔर सुरक्षा नहीं हुआ करते हैं,इसलिए महिलाओं को खासा परेशानी होने को लेकर ऐसा नहीं किया गया था। लेकिन अब कुछ छोटी दूरियों को तय करनेवाली मालगाड़ियों को महिलाओं के हाथ सौपने का निर्णय लिया गया है।मंडल के डीआरएम रंजन प्रकाश ठाकुर ने कहा कि पैसेंजर ट्रेन को महिला कर्मचारियों से चलाने में कोई परेशानी नहीं है,पर मालगाड़ियों जिस में टॉयलेट और सुरक्षा नहीं होने से एक महिला से मालगाड़ी चलाना फिलहाल सही नहीं है|वाबजूद यहाँ की महिला कर्मचारियों ने इस चुनौतियों को स्वीकार कर आज मालगाड़ी का परिचालन सफलता पूर्वक कर दिखा दिया है कि हम महिलायें किसी भी काम को कर सकती हैं,बशर्ते कि मौका और संसाधन के साथ प्रोत्सहान मिले|डीआरएम ने कहा कि सुविधाओं के आभाव में फिलहाल इस काम को महिलाओं से दिन में कम दूरी तक ड्यूटी के लिए लिया गया है, ताकि उसे कोई परेशानी नहीं हो |
वर्तमान में इस का परिचालन दानापुर रेल मंडल में दानापुर से फतुहा के बीच जाने वाली मालगाड़ी को गार्ड स्वाती,सहायक पायलट सोनी कुमारी और विभा कुमारी के साथ आरपीएफ की महिला सुरक्षाकर्मियों ने स्वत्रंत रूप से किया है, जो एक मिसाल है| इस बात का गौरब हम सभी को है कि महिलाओं ने पूरी आत्मनिर्भरता के साथ मालगाड़ी का परिचालन सफलता पूर्वक की है|
रांची की रहने वाली स्वाती गार्ड का कहना है कि इसे तो मै अपना सौभाग्य समझती हूँ कि इस जोन में पहली बार मालगाड़ी को चलाने का मौका मुझे दिया गया है| इस के लिए दानापुर और भारतीय रेल को आभार प्रकट करना चाहूंगी।सहायक पायलट सोनी और विभा का कहना है की हम वैसे तो पैसेजर ट्रेन चलाते हैं,पर बिना टॉयलेट, यात्री और सुरक्षा का मालगाड़ी चलाना थोड़ा अलग है|अगर यह सुविधा और सुरक्षा मिले तो फिर कोई परेशानी नही।