‘वी द सिटीजन’ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके राज्य के विशेष नागरिकता कानून
35 A को चुनौती दी है
जम्मू कश्मीर में नागरिकता कानून को चुनौती देनी वाली याचिका पर सुनवाई से पहले राजनीती तेज हो गयी है। विरोध की आवाज मुखर होने लगी है और अलगाववादियों के साथ एन सी और कांग्रेस जैसे दल भी सड़क की लड़ाई लड़ने निकल पड़े हैं। अलगावादी संगठनों और सिविल सोसाइटी ने सुनवाई से पहले ही याचिका के खिलाफ मोर्चा खोल कर इसे राज्य के विशेष दर्जे के साथ छेड़ छाड़ की साज़िश करार दिया है,इनका साथ देते हुए मुख्य धारा के सभी दल नेशनल कांफ्रेंस,पीडीपी और कांग्रेस भी खुल कर विरोधी तेवर अपनाये हुए है। 6 अगस्त को धारा 35 A पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।
30 जुलाई को कश्मीर सिविल सोसाइटी ने श्रीनगर में प्रेस कांफ्रेंस करके 35-A कानून के खलाफ याचिका विरोध शुरू किया और आगे की राजनितिक लड़ाई का रास्ता अख्तियार करते हुए एलान किया है कि 35 ए में किसी भी छेड़छाड़ को वो पुरजोर विरोध करेंगे और सबसे मिलकर इस बचाएंगे। इसी मुहीम के तहत कई व्यापारिक और सामाजिक संगठनो ने एक जुट होकर राज्य के विशेष कानून को बचाने के लिए जन विरोध और और 5 और 6 अगस्त को पूरी कश्मीर घाटी में बंद का आह्वाहन किया है। सिविल संगठनो के द्वारा बुलाये गए इस बंद को सभी अलगाववादी संगठनो ने समर्थन दिया है,खासकर हुर्रियत ने भी सिविल संगठनों की तरफ से बुलाये गए दो दिन के बंद का समर्थन किया है।
दिल्ली की एक गैसरकारी सामाजिक संस्था ‘वी द सिटीजन’ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके राज्य के विशेष नागरिकता कानून-35-A को चुनौती दी है और इसको हटाने की मांग की है। वहीं सुनवाई का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि अगर नागरिकता के कानून को तोड़ा गया तो धारा 370 भी उसी के साथ खत्म होगा और जम्मू-कश्मीर और भारत के बीच हुवा विलय भी खत्म हो जाएगा। इस सब के बीच जम्मू कश्मीर के राजयपाल एनएन वोहरा ने केंद्र से सुनवाई को टालने का अनुरोध किया था और कहा था कि राज्य के कुछ जगहों पर होनेवाले स्थानीय चुनावों की वजह से इसे फिलहाल स्थगित कर देना चाहिए।
फिलहाल कश्मीर के इलाके में बंद का काफी असर देखा जा रहा है,हलाकि चारो तरफ सेना और दूसरे सुरक्षा बलों की मुस्तैदी है लेकिन बाजार और व्यापारिक सन्सथान बंद है। कल 6 अगस्त तक ये बंद जारी रहेगा।