जो तस्करी के आरोप में पिटाई के बाद भी अकबर जिन्दा था,होश में था
अलवर में अकबर की पिटाई के बाद भी अकबर जिन्दा और होशो हवास में था। घंटो पुलिस ने अकबर उर्फ़ रकबर को थाने में रखा और जमकर पिटाई की।इसके बाद चार घंटे बिताने के बाद घायल अकबर को अस्पताल ले जाया गया तबतक अकबर की जान जा चुकी थी।
अलवर जिले के रामगढ में मॉब लिंचिंग में अकबर उर्फ रकबर की मौत और पुलिस की भूमिका पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। काफी हंगामे के बाद एडीजीपी स्तर के अफसर के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम ने रामगढ़ में पूरे घटनाक्रम की जांच की। सोमवार शाम स्पेशल डीजी (कानून-व्यवस्था) एन आर के रेड्डी ने कहा,”प्रथम दृष्टया मामले में पुलिस टीम के निर्णय में चूक सामने आई है। जो हुआ वह टाला जा सकता था। वे (पुलिस वाले) प्राथमिकता के आधार पर उचित फैसला नहीं ले सके। पूरे मामले की एएसपी स्तर की जांच जारी रहेगी।” रामगढ़ पुलिस पर आरोप है कि वह जख्मी अकबर को अस्पताल की जगह पहले थाने ले गई। अकबर से पहले गायों को गौशाला पहुँचाने की प्राथमिकता दी गयी। वक्त पर इलाज नहीं मिलने से उसकी मौत हो गई। कुछ गवाहों का कहना है कि अकबर को उन्होंने पुलिस की जीप में बैठे देखा था।
इस जघन्य घटना के बाद घटनास्थल पर मौजूद प्रभारी अधिकारी एएसआई मोहन सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है,जबकि तीन कांस्टेबलों विजय सिंह, सुरेंद्र सिंह और हरेंद्र सिंह को लाइन हाजिर किया है।अलवर के पास रामगढ़ के गांव ललावंडी में 20 जुलाई की रात अकबर उर्फ रकबर मेव(28) को पीट-पीटकर कर मार दिया गया था। अकबर अपने साथी असलम के साथ गाय लेकर पैदल हरियाणा जा रहा था। खेतों में ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया। असलम तो बचकर भाग निकला, लेकिन भीड़ ने अकबर की लाठी-डंडों से पिटाई कर दी। पुलिस ने हत्या का केस दर्ज कर ललावंडी के धर्मेन्द्र यादव और परमजीत सहित एक और सख्श को गिरफ्तार किया है।
चश्मदीदों में से एक महिला माया के अनुसार पिटाई के बाद भी अकबर जिन्दा था और पुलिस के साथ उसे देखा था। इसके अलावा सोमवार को रामगढ़ में गोविंदगढ़ मोड़ पर ही चाय बेचने वाले एक दुकानदार ने दावा किया कि रामगढ़ पुलिस एक युवक को जीप में ले जाते वक्त रात करीब सवा तीन बजे उसकी दुकान पर रुकी थी। पुलिस वालों ने यहां चाय पी। वहां पुलिसवालों को युवक को पीटते देखा गया।
अकबर की मौत के बाद कई चस्मदीदो का बयान आया और इसमें चश्मदीद का दावा था कि अकबर की मौत पुलिस की पिटाई की वजह से कस्टडी में ही हुई। पुलिस ने अस्पताल ले जाने में 3 घंटे देरी की। खबर के बाद जांच जयपुर क्राइम ब्रांच के एडिशनल एसपी (सतर्कता) को दे दी गई।हालांकि अस्पताल प्रशाशन की और से मिली जानकारी के अनुसार अकबर की मौत अस्पताल आने से पहले हो चुकी थी,लेकिन पुलिस ने बताया था कि अकबर ने अपना नाम और पता बताया था,ऐसे में पुलिसिया जांच पर भी संदेह उठाते हैं। मृतक के पिता सुलेमान ने कहा कि पुलिस जांच पर भरोसा है। जिला मेव पंचायत ने कहा कि सरकार ने 7 दिन में एसआईटी को जांच नहीं सौंपी तो बड़ा आंदोलन करेंगे।
अब जब एक ख़ुफ़िया कैमरे पर एक पुलिसवाले ने ये स्वीकारा है कि उनसे गलती हुयी है ,ऐसे में ये कहा जा सकता है कि पुलिस चाहती और समय पर उपचार करवाया जाता तो अकबर बच सकता था। दूसरी अहम् बात यह कि पुलिस ने भी अकबर की पिटाई की। अकबर को काफी देर तक थाने में रखा गया। उसके शरीर का कीचड और मिटटी साफ़ करवाया गया,पास से ही उसके लिए कपडे लाये गए। अकबर ने खुद कपडा पहना। इसका मतलब यह कि उस समय तक अकबर जिन्दा था। लेकिन इसके बाद भी पुलिस ने उसकी जमकर पिटाई की जिससे उसे अंदरूनी चोट पहुंची और अकबर की जान चली गयी।
निश्चित तौर पर अलवर पुलिस की संवेदनहीनता की वजह से ही एक लाचार गरीब की जान गयी है और उसके परिवार वाले यतीम से हो गए हैं। आखिर कार पिटाई के आरोपियों को तो हिरासत में ले लिया गया है पर लापरवाही और दरिंदगी के आरोपी पुलिसकर्मियों पर भी हत्या का मामला चलेगा क्या?देखना है पुलिसिया जांच किसे दोषी मानती है। फिलहाल इसपर वाद-विवाद भी जारी है।