नई दिल्ली। दैनिक भास्कर के समूह संपादक कल्पेश याग्निक का अचानक से निधन हो गया। गुरुवार को वो रोजाना की तरह दफ्तर में काम कर रहे थे। रात करीब 10 बजे दफ्तर में ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा। काम के दौरान उनकी तबियत खराब देख फौरन उन्हें सबसे नजदीकी बॉम्बे अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों की टीम ने उन्हें तुरंत आईसीयू में शिफ्ट कर इलाज शुरू कर दिया। करीब 3 घंटे तक डॉक्टरों ने उन्हें ठीक करने की पूरी कोशिश की, लेकिन इलाज के दौरान ही उन्हें दूसरा दौरा भी पड़ गिराया। रात करीब 2 बजे डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। कल्पेश याग्निक के अचानक निधन से परिवार के साथ-सात मीडिया जगत भी सदमे में है। भास्कर समूह से लंबे वक्त से जुड़े कल्पेश याग्निक के साथ काम करने वाले सदमे में है। उनकी अंतिम यात्रा शुक्रवार सुबह 11 बजे साकेत नगर स्थित उनके निवास से तिलक नगर मुक्तिधाम जाएगी।
21 जून 1963 को जन्मे कल्पेशजी 1998 से दैनिक भास्कर समूह से जुड़े थे। 55 साल के याग्निक एक बेबाक पत्रकार थे। उन्होंने अपनी लेखनी पर किसी का दवाब न हीं पड़ने दिया। वो एक प्रखर वक्ता और देश के विख्यात पत्रकार थे। वे पैनी लेखनी के लिए जाने जाते थे। संवेदनशील मुद्दों पर निष्पक्ष और बेबाकी से अपनी बात कहना याग्निक की आदत थी। उनका कॉलम ‘असंभव के विरुद्ध’ देशभर में चर्चित था। कलम के साथ उनका रिश्ता इत ना गहरा था कि भगवान ने उन्हें अंतिम घड़ी में भी कलम के साथ ही रखा। काम करते-करते मौत का आलिंगन बिरले लोग ही कर पाते हैं। उनके साथ पत्रकार उनके निधन से बेहद आहत है। महज 55 साल की उम्र में ही वो सबको छोड़कर चले गए। उनका इस तरह से चले जाना न केवल भास्कर समूह के लिए बल्कि मीडिया जगत के लिए बड़ी क्षति है, जिसकी कभी भी पूर्ति नहीं की जा सकती।