सरदार पटेल की 143 वी जयंति के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की 182 मीटर उंची गगनचुंबी प्रतिमा का अनावरण किया। यह प्रतिमा भारत की सबसे बडी धरोहर के रूप में है। 1947 भारत के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है जब सरदार पटेल भारत के सबसे पहले गृहमंत्री बने। उनकी पहचान स्वतंत्रता सेनानी, लौह पुरुष के रूप थी।इस महान शख्सियत को पूरा देश सलाम करता है। एकता की प्रतीक सरदार पटेल की 182 मीटर उंची गगनचुंबी यह प्रतिमा विंध्याचल व सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच विश्व के सामने गर्व से खड़ी नजर आएगी। लोग सरदार की भव्य व दिव्य प्रतिमा 8 किलोमीटर की दूरी से भी देख पाऐंगे।
इतनी भव्य प्रतिमा बनाने के पीछे की वजह
आजादी के 6 महीने पहले भारत के इतिहास में जब साम्राज्यवादी शासन के साथ-साथ भारत का विभाजन भी अपने अंतिम चरण में पहुंच गया था तब उस समय कुछ भी पूरी तरह से साफ नहीं था कि क्या देश का एक से अधिक बार विभाजन होगा और तो और उस समय कीमतें भी आसमान पर पहुंच गई थीं, खाद्य पदार्थों की कमी आम बात हो गई थी,पर सबसे बड़ी चिंता भारत की एकता को लेकर नजर आ रही थी, जो कि खतरे में थी। उस समय महात्मा गांधी ने सरदार वल्लभभाई पटेल से कहा था कि,‘‘राज्यों की समस्या इतनी ज्यादा विकट है कि सिर्फ ‘आप’ ही इसे सुलझा सकते हैं।’’तब सरदार पटेल ने सुदृढ़ता और प्रशासनिक दक्षता के साथ इस चुनौती को पूरा किया,सरदार पटेल एक अनुभवी प्रशासक थे।यही वजह है कि सरदार पटेल को उनकी जयंती पर हम भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
इस प्रतिमा की क्या है खासियत?
भारत की हस्त कला,और शिल्प कला,ने देश की खूबसूरती को बढाने के लिए एक और नायाब हीरा का निमार्ण किया है. इस प्रतिमा में बहुत सारी खूबियां हैं इस प्रतिमा को ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’का नाम दिया गया है.‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’हमारे देश के स्वाभिमान और नई तकनीकी का प्रतीक है इस मूर्ति से दुनिया को पटेल के ताकत का एहसास होगा.आज भारत ने अपने लिए एक नया इतिहास रचा है जो भविष्य के लिए प्रेरणा का आधार बनेगी।