हग्लोमेसी की कूट-नीति काम ना आयी,चारो तरफ से घिरे राहुल
यूँ तो आज अपने एक खास लौ में दिखे थे आला-हाई कमान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल संसद की बहस में। शुरुआत काफी हमलावर अंदाज में थी ,विषयों पर भी लगता है कुछ तयारी करके आये थे। जिसकी वजह से मोदी की सरकार को एक एक कर कई मुद्दों पर घेरा। विपक्ष के लोगों ने भी खूब हौसलाअफजाई भी की। बात विदेश नीति की हो या रक्षा सौदे में कथित घोटाले की हर जगह सरकार की बोलती बंद करने की कोशिश की। किसानो पर खूब गरजे खासकर कर्नाटक में अपने गठवन्धन की सरकार के द्वारा कर्ज माफ़ी को मिसाल के तौर पर पेश करते हुए कहा कि अकेले उन्होंने चौतीस हजार करोड़ कर्ज माफ़ किया वहीँ मोदी की सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में काफी काम बढ़ोतरी की,जो पूरे देश में महज दस हजार करोड़ रुपये होते हैं। इसी तरह कई गंभीर मुद्दों पर राहुल ने इस बार सरकार को घेरने की कोशिश तो की लेकिन लगता है इस बार भी राहुल तथ्यात्मक आंकड़ा नहीं ला पाए या उनकी रिसर्च-टीम मोदी की रिसर्च टीम से कमजोर निकली। इस बार राहुल की स्क्रिप्टिंग पहले से बेहतर तो थी पर मोदी की चासनी बरी जुबान से फीकी थी। महिलाओं और असुरक्षा के मुद्दे पर भी बोला राहुल ने।लिंचिंग को भी मुख्य मुद्दा बनाया पर उसे तरीके से प्लेस नहीं कर पाए। आतंकवाद और पड़ोस के पाकिस्तान के बारे में अपनी साफ़ रे नहीं रख पाए।शायद इस मुद्दे पर इस लिए नहीं गए कि इसे छेड़ते ही एन डी ए के लोग मधुमक्खी की तरह लटक जाते। आखिर थरूर और दिग्विजय के विषय पर घिरते तो बुरा होता। सर्जिकल स्ट्राइक को भी नहीं छुआ वहां भी संदीप दीक्षित और संजय निरुपम का गोला तैयार था फटने को। कुल मिला-जुलाकर राहुल ने काफी सेफ जोन में जाकर खेल खेला था। लेकिन राहुल गाँधी गेम के आखिरी सेकेंड में आत्मघाती गोल कर बैठे। राहुल के इस एक्शन ने सत्तापक्ष को हमलावर कर दिया, सिरोमनि अकाली दाल की नेता हरसिमरत ने पुरजोर आलोचना की,और कहा कि सदन को मुन्ना भाई की झप्पी पार्टी न बनाया जाये,इसके अलावा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सदन की मर्यादा के खिलाफ कहा।खुद कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसे शर्मनाक बताते हुए कहा कि दुश्मन से गले मिलना शर्मनाक है। चारो तरफ राहुल की किरकिरी जारी है।
राहुल की हग्लोमेसी पॉलिसी प्रधानमंत्री मोदी से गले मिलनेतक तो सही रही पर अपने क्रीच में आकर आँख मार हिट विकेट हो गए।