उत्तर प्रदेश के चुनावी समर में सभी पार्टियां एक दूसरो को पटखनी देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। चुनाव तारीखों की घोषणा के बाद अपने लोक लुभावन वादों से जनता को आकर्षित करने की तमाम कोशिशें सभी राजनीतिक दल कर रहे हैँ। हालांकि उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी का पारिवारिक कलह अभी थमा नहीं है औऱ जैसे जैसे समय बीत रहा है उनके लिए मुश्किलें बढ़ने लगी हैं।
कांग्रेस समाजवादी पार्टी की लड़ाई पर अपना सारा राजनैतिक गणित बिठा रही है। बीजेपी एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही चुनाव मैदान में है। लेकिन इस बार बीएसपी ने अपने चुनाव लड़ने के तौर तरीके बदले हैं। जाहिर है बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती मुख्यमंत्री का चेहरा हैं लेकिन साथ इस बार पार्टी दूसरी पार्टियों की तर्ज पर नारों औऱ स्लोगन के जरिए चुनावी जंग जीतना चाहती है।
एक तरफ जहां मायावती खुलेआम सभाओं में मुसलमानों को बीएसपी को वोट देने के लिए नसीहत देते नजर आती है वहीं पहली बार मायावती की पार्टी ने भी नारों की झड़ी लगा दी है। बसपा के नारों का कैच लाइन है “बहन जी को आऩे दो” । मायावती की पार्टी इस बार इसी नारे के इर्द गिर्द उत्तर प्रदेश की समस्याओं को गिना रही हैं। सोशल मीडिया और प्रोफेशनल टीम से अब तक दूरी बनाकर रहने वाली मायावती ने भी इस बार किसी न किसी एजेंसी को अपने नारों के लिए चुन लिया है।
गांव, गरीब और महिलाओं की सुरक्षा को खासतौर पर ध्यान रखकर मायावती के नारे लिखे गये हैं। मायावती की इस कोशिश से साफ लगता है कि वो किसी भी कीमत पर कोई कमी छोड़ना नहीं चाहती। अखिलेश के विकास के नारे, कांग्रेस के २७ साल यूपी बेहाल और बीजेपी के अपराध न भ्रष्टाचार अबकी बार बीजेपी सरकार के सामने मायावती का नारा “बहन जी को आऩे दो” दिलचस्प है।