फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ को लेकर जब करन जौहर की अपील सुनी, तो बहुत हंसी आई। याद आया कि ये वही महाशय हैं, जो AIB किया करते थे। AIB का फुल फॉर्म इतना अभद्र और अश्लील है कि हम तो इसे यहां लिख भी नहीं सकते। उस वक्त भी अभद्रता और अश्लीलता के इस व्यापारी के ख़िलाफ़ मैंने कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की थी। उनके ख़िलाफ़ एफआईआर भी दर्ज हुई थी, इसके बावजूद देश के कमज़ोर कानूनों और कानूनों के कमज़ोर इम्प्लीमेंटेशन के चलते उनकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा, लेकिन अब देश की जनता के हाथ में उन्हें सबक सिखाने का अच्छा मौका है।
एक तो करन जौहर ने अपने धंधे के लिए AIB के ज़रिए स्त्रियों की गरिमा को ठेस पहुंचाई और इस देश की आत्मा पर चोट करने की कोशिश की; दूसरे इस फिल्म में एक पाकिस्तानी कलाकार भी है, जिसका इसमें होना कतई अनिवार्य नहीं था। अगर देश की जनता ने इस फिल्म को कामयाब होने दे दिया, तो इस तरह के प्रोड्यूसरों के हौसले बुलंद होते जाएंगे। उन्हें लगेगा कि वे जब चाहें AIB कर सकते हैं और जब चाहें पाकिस्तानी कलाकारों के साथ भी काम कर सकते हैं; इस देश की जनता न सिर्फ़ सब कुछ भूल जाती है और माफ़ कर देती है, बल्कि आले दर्जे की बेवकूफ़ भी है।
इसलिए व्यक्तिगत मैं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना जैसे हिंसावादी राजनीतिक दलों के स्टैंड का समर्थन तो नहीं करता, लेकिन अहिंसक तरीके से इस फिल्म के पूर्ण बहिष्कार के पक्ष में हूं। वैसे भी, स्वस्थ और भरपूर मनोरंजन के लिए आज हमारे इर्द-गिर्द इतना कुछ बिखरा पड़ा है और हर पल इतनी चीज़ें सृजित हो रही हैं कि एक फिल्म नहीं देखने से हमारा कुछ बिगड़ नहीं जाएगा।
जहां तक पाकिस्तानी कलाकारों का प्रश्न है, तो मैं पाकिस्तान को लेकर बेहद सहिष्णु रहा हूं। लेकिन पाकिस्तान जिस तरह से हम आम भारतीयों की उदारता, सहिष्णुता, भाईचारे की भावना और भलमनसाहत का नाजायज़ फायदा उठा रहा है, हमारे ख़िलाफ़ हिंसा कर रहा है, हमारे मुल्क में आतंकवादियों को भेज रहा है, हमारा सिर कश्मीर हमारे धड़ से अलग करने की साज़िशें रच रहा है, खुलकर समूची दुनिया में आतंकवादियों को आज़ादी का सिपाही बता रहा है, हमारे लिए उसके प्रति और सहिष्णु बने रहना संभव नहीं रह गया है।
इसलिए मेरा ख़्याल है कि जो लोग देश से प्यार करते हैं, उन्हें संपूर्णता में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ खड़ा होना होगा। यह नहीं हो सकता कि एक तरफ़ हम यह भी कहें कि हम देश से प्यार करते हैं, दूसरी तरफ़ हम कला के नाम पर पाकिस्तान के लोगों को सहलाते भी रहें। आज एक प्रोड्यूसर को सबक मिलेगा, तभी दूसरे प्रोड्यूसर्स आगे से ऐसा करने से बाज आएंगे, वरना यह सिलसिला तो चलता ही रहेगा।
यह मेरा खुला आरोप है कि बॉलीवुड में पाकिस्तानी कलाकारों से मूलतः वही लोग सहानुभूति रखते हैं, जिनका अंडरवर्ल्ड से कभी न कभी किसी न किसी तरह का लिंक रहा है या आज भी लिंक है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि देश के मोस्ट वांटेड अपराधी दाऊद इब्राहिम से लेकर कई अंडरवर्ल्ड सरगनाओं के पैसे बॉलीवुड फिल्मों में लगते रहे हैं और उनके इशारे पर हमारे यहां के बड़े-बड़े हीरो-हीरोइन नाचते रहे हैं।
सलमान खान ने एक प्रेस कांफ्रेंस में काफी तैश में पूछा था कि क्या पाकिस्तानी कलाकार आतंकवादी हैं? मेरी राय में, वे आतंकवादी हैं कि नहीं, यह सवाल ही बेमानी है, क्योंकि मुझे पक्का संदेह है कि उन्हें बॉलीवुड में काम ही मिलता है, या तो अंडरवर्ल्ड की सिफ़ारिश पर या उसके दबाव में। वरना इतने बड़े मुल्क में कलाकारों का ऐसा कौन-सा अकाल पड़ गया है कि पाकिस्तानियों को काम दिए बिना हमारे कई प्रोड्यूसर-डायरेक्टर कंगाल हो जाएंगे? ज़ाहिर है, जो अपना ब्लैक मनी यहां लगाते होंगे, वे अपने कलाकार भी यहां घुसा देते होंगे। और फिर, इन सब से अनभिज्ञ हम उदारवादी हिन्दुस्तानी एक दिन उन्हें अपने ही बीच का मानने लग जाते हैं।
इसलिए मेरा ख्याल है कि देश के लोग अगर अपनी सरकार से यह अपेक्षा रखते हैं कि वह पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सभी संभव कदम उठाए, तो उन्हें भी अहिंसक तरीके से अपने स्तर से वह सब कुछ करना होगा, जिससे न सिर्फ़ पाकिस्तान में सख्त संदेश जाए, बल्कि अंडरवर्ल्ड की भी कमर टूटे और भारत में भी उनसे लिंक रखने वाले पैदल हो जाएं।