सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर कुछ राजनेताओँ द्वारा अपने लाभ के लिए फैलाए जा रहे अफवाह के बीच चश्मदीदों ने कुछ खुलासे किए हैं। अंग्रेजी अखबार “द इंडियन एक्सप्रेस” की खबर के मुताबिक एलओसी पार रह रहे 5 चश्मदीदों ने घटना को लेकर खुलासा किया है। उन्होंने बताया, “हमने सर्जिकल स्ट्राइक के धमाकों की आवाज सुनी। बाद में आतंकियों की लाशों को ट्रकों से किसी अनजान जगह ले जाकर दफनाया गया।” 28-29 सितंबर की रात को भारत के पैराकमांडो ने एलओसी के पार जाकर आतंकी कैम्पों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इसमें 38 आतंकी और पाक आर्मी के 2 जवान मारे गए थे। वहीं पाक ने भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के दावे से इनकार करते हुए कहा था कि भारतीय आर्मी ने छोटे हथियारों और मोर्टार से फायरिंग की थी।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने लिखा है कि ये पहली बार है कि चश्मदीदों ने सर्जिकल स्ट्राइक में जिन लोकेशन को निशाना बनाया गया, उसकी जानकारी मुहैया कराई है। ये वो जानकारी है जो भारत-पाक की तरफ से अभी तक पब्लिक नहीं की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 5 चश्मदीदों से कॉन्टैक्ट किया गया था। ये लोग अपने परिवार के साथ एलओसी के पार रहते हैं। इन्हें एक एनक्रिप्टेड चैट सिस्टम से सवाल भेजे गए थे। चश्मदीदों ने अखबार से खुद और अपने परिवार की सिक्युरिटी को लेकर अपील की थी। बता दें कि एलओसी के पार पाकिस्तान के इलाके में भारतीय जर्नलिस्ट्स को कवरेज की इजाजत नहीं है। वहां केवल पाक मीडिया जा सकता है।
सर्जिकल स्ट्राइक के ज्यादातर डिटेल दो चश्मदीदों ने मुहैया कराए। ये लोग दुधनियाल तक गए थे। दुधनियाल एलओसी पार पाक का एक छोटा सा इलाका है। ये एलओसी से सबसे नजदीक भारत की पोस्ट गुलाब (कुपवाड़ा) से 4 किमी है। चश्मदीदों ने बताया, ‘हमने अल हावी पुल के पार एक बिल्डिंग देखी। अल हावी पुल बिल्डिंग को मुख्य बाजार को जोड़ता है। इस कंपाउंड को मिलिट्री और लश्कर-ए-तैयबा दोनों इस्तेमाल करते हैं। ‘अल हावी पुल वो अंतिम प्वाइंट है जहां एलओसी पार करने वाले घुसपैठियों को अस्लहा दिया जाता है। चश्मदीद ने ये भी बताया, ‘लोग डर के चलते बाहर के घटनाक्रम को देखने घर से बाहर नहीं निकले। इसलिए वे भारतीय जवानों को नहीं देख पाए। अगले दिन उन्हें लश्कर के लोगों ने इकट्ठा किया और बताया कि उनपर हमला हुआ था। ‘अगले दिन ही कई लाशों को ट्रक में भरकर ले जाया गया। इस बात की भी संभावना है कि बॉडी लश्कर के नीलम नदी के पार मौजूद चल्हाना कैंप ले जाई गई हों।’