उत्तर प्रदेश में जहां राष्ट्रीय पार्टियों और मजबूत क्षेत्रीय पार्टियों, जो पिछले पच्चीस सालों से सत्ता में है, के बीच चुनावी जंग क्या रंग लेगा वो तो चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद ही पता चलेगा लेकिन फिलहाल समाजवादी परिवार की आपसी जंग ने राजनीति को दिलचस्प बना दिया है।
पिता-पुत्र के इस जंग का लाभ लेने के लिए विपक्षी पार्टियां वोटरों को रिझाने का काम शुरु कर चुकी हैं। बीएसपी सुप्रीमो मायावती दलित-मुस्लिम गठबंधन के सहारे अपनी चुनावी नैया पार लगाना चाहती हैं। मायावती ने कुछ दिन पहले ही यहां तक कह डाला कि कांग्रेस-एसपी गठबंधन अगर हुआ तो वो बीजेपी के इशारे पर होगा, साफ था ऐसे बयान से वो मुस्लिम वोटर्स को अपनी तरफ खींचना चाहती हैं। मायावती ने अपील की थी कि वे इस गठबंधन के झांसे में न आएं क्योंकि इससे बीजेपी को फायदा होगा।
इतना ही नहीं मायावती ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे मुस्लिम मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए सभी जिलों में ऩए साल से पब्लिक मीटिंग करना शुरु करें। मायावती ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके बेटे अफजल से कहा है कि वे पश्चिमी यूपी के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में सभाएं करें और समाजवादी पार्टी में चल रही लड़ाई को लोगों के बीच इस तरह पेश करें कि लोगों को यकीन हो जाए कि आपसी लड़ाई में उलझी समाजवादी पार्टी बीजेपी को सत्ता में आऩे से नहीं रोक पाएगी। ऐसा करने से मुस्लिम वोटर बीएसपी की तरफ होंगे।
मौजूदा हालात में मायावती अकेले सत्ता में आएगी इसकी संभावना कम ही दिखाई देती है इसलिए उनकी हर कोशिश प्रदेश के मुस्लिम वोटर्स पर हैं। वो इस बार एक नया सोशल इंजीनियरिंग ईजाद करना चाहती हैं। पिछली बार जब मायावती मुख्यमंत्री बनी थीं तो दलित-ब्राह्मण गठजोड़ के बूते सत्ता तक पहुंची थी। पिछले कुछ सालों में मायावती के वोट बैंक से ब्राह्मण वोटर्स बीजेपी की ओर झुके हैं और इस बार चुनाव में कुछ हिस्सा कांग्रेस के पास जाने का अंदेशा है। उधर अखिलेश ने ऐन मौके पर १७ पिछड़ी जातियों को दलित का दर्जा देकर राजनीतिक समीकरण बिगाड़ दिए हैं। ऐसे में मायावती भी समाजवादी पार्टी के मूल वोटर्स मुस्लिम मतदाताओं पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
दूसरी तरफ बीजेपी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए लोगों के बीच विश्वास पैदा करना चाहती है कि प्रदेश में उनसे बेहतर कोई और नहीं हो सकता । 2 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लखनऊ में एक बड़ी रैली होने वाली है जिसमें चुनाव के मद्देनजर वह कई बड़ी घोषणाएं कर सकते हैं। समाजवादी पार्टी की अदंरुनी लड़ाई को बीजेपी भी चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बनाएगी औऱ पार्टी के नेता यह कहते नजर आएंगे कि जो अपना परिवार नहीं सभाल सकते वो प्रदेश क्या संभालेंगे।