आज उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का पहला दौर है। पहले दौर के वोटिंग से पहले ही समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम को अपने लोगों से अब बेरुखी झेलनी पड़ रही है। दो दिन बाद यानि १३ फरवरी को मुलायम के गढ़ मैनपुरी में नेताजी की कुछ सभाएं रखी गईं थी लेकिन अब वो रद्द कर दी गई हैं। भले ही मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी को खड़ा किया हो लेकिन उनके पार्टी कार्यकर्ता चुनाव प्रचार में उनको बुलाने से परहेज करने लगे हैं। SP उम्मीदवारों को लगता है कि नेताजी मंच से न जाने क्या बोल दें और बिना वजह बखेड़ा खड़ा हो जाए। बीते दो-तीन महीनों में मुलायम सिंह के बयान इन शंकाओं को पुख्ता भी करते हैं। मुलायम सिंह के कई बयान पार्टी की रणनीति के खिलाफ गए।
पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं ने १३ फरवरी को प्रस्तावित जनसभाएं रद्द कर दी हैं जबकि उस दिन मुलायम सिंह अपने भाई शिवपाल यादव के प्रचार के लिए इलाके का दौरा करेंगे। इन इलाकों के कई सीटों पर शिवपाल अपने प्रत्याशी चाहते थे लेकिन अखिलेश यादव ने उनकी जगह अपने लोगों को तवज्जो दी। मुलायम के दफ्तर ने भी इस बात की पुष्टि की है कि मैनपुरी में होने वाली उनकी बैठकों को रद्द कर दिया गया है।साथ ही दबी जबान मुलायम के करीबियों ने कहा कि जब कैंडिडेट ही नहीं चाहते कि मुलायम वहां जाएं और उनकी रैलियों को संबोधित करें तो क्या मतलब बनता है।
मुलायम के कार्यक्रम का रद्द होना इस बात का संकेत है कि पार्टी के सिर्फ विधायक ही नहीं बल्कि निचले स्तर के कार्यकर्ता तक अखिलेश के पक्ष में खड़े दिखते हैं, शिवपाल का समर्थन करने के बावजूद नेताजी की पकड़ पार्टी पर ढीली पड़ी है।