हर बात में पीआईएल दायर करने वालों के एक नजीर, एक सबक है सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच का फैसला। चीफ जस्टिस खेहर, जस्टिस एन.वी. रमणा और जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ बिना किसी औचित्य के याचिका दाखिल करने के लिए आरजेडी विधायक रविंद्र सिंह पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
कोर्ट ने कहा कि अब आप हम पर यह भी आरोप लगा सकते हैं कि आप बड़े नेता हैं और आप पर इतना कम जुर्माना कैसे लगाया गया। आपके द्वारा दाखिल याचिका समय की बर्बादी है। विधायक ने यह याचिका वर्ष 1994 में छपे एक लेख को लेकर दायर की थी। सिंह को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा ‘हम यह समझ पाने में असमर्थ हैं कि आखिर याचिकाकर्ता ने 1994 में छपे लेख के खिलाफ हाईकोर्ट में 2015 में याचिका क्यों दायर की। इतना ही नहीं 2016 में आए हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका क्यों दायर की, क्या इनकी याचिका इसलिए महत्वपूर्ण है कि वह एमएलए हैं।’
कोर्ट ने कहा कि ‘इस तरह की तुच्छ मुकदमेबाजी से बाहर आइए’ । कोर्ट ने सवाल भी किया कि ‘आखिर इस तरह की याचिकाएं हम स्वीकार ही क्यों कर रहे हैं? इस तरह की व्यर्थ की याचिकाओं में हर रोज कोर्ट का कीमती वक्त जाया होता है। हर रोज इन याचिकाओं की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी हो रही है। आखिर यह हो क्या रहा है? क्यों सुप्रीम कोर्ट के तीन जज ऐसी व्यर्थ की याचिकाओं पर अपना वक्त बर्बाद कर रहे हैं।’