यूपी के सीएम अखिलेश यादव के सपा और कांग्रेस के गठबंधन पर दिये बयान पर पलटवार करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा कि कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। इसके साथ ही राज बब्बर ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व ने गठबंधन को लेकर उनसे कोई बात नहीं की है, ऐसे में गठबंधन की बातों से कार्यकर्ता भ्रमित और हतोत्साहित होते हैं।
राज बब्बर ने एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा, ‘गठबंधन को लेकर मेरे पास कोई जानकारी नहीं है और न ही पार्टी ने मुझसे ऐसी कोई संभावना तलाशने को कहा है। ये सब बातें सिर्फ अटकलें हैं जिनसे कार्यकर्ता हतोत्साहित होते हैं।
उन्होंने कहा ऐसी बातों से कार्यकर्ताओं के मन में भ्रम पैदा होता है। जैसा अखिलेश कहते हैं कि गठबंधन पर फैसला नेता जी करेंगे, उसी तरह हम भी इस मामले को पार्टी नेतृत्व पर छोड़ते हैं। फिलहाल हम अपने दम पर चुनाव लड़ रहे हैं।
गौरतलब है कि अखिलेश यादव ने पिछले हफ्ते कहा था कि हालांकि सपा अपने दम पर बहुमत पा लेगी लेकिन फिर भी अगर कांग्रेस और सपा एक साथ चुनाव में उतरते हैं तो यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में गठबंधन को 403 में से 300 से ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद है। सीएम अखिलेश यादव इससे पहले भी कई बार ऐसे बयान दे चुके हैं ।
कांग्रेस के चुनाव रणनीतिकार प्रशान्त किशोर द्वारा पिछले महीने कई बार सपा सुप्रीमो और यूपी के सीएम अखिलेश से लम्बी बैठकें कर चुके हैं। जिसके बाद से सपा और कांग्रेस के गठबंधन की अटकलों ने जोर पकड़ लिया था। हालांकि बाद में सपा प्रमुख ने कहा कि सपा आगामी चुनाव में किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी, जिसके बाद अटकलों पर विराम लग गयी।
बब्बर ने बताया कि विधानसभा चुनाव के लिये प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी जिलाध्यक्षों से सम्भावित प्रत्याशियों की लिस्ट दोबारा मंगवायी गयी है और इस महीने के अंत तक पहली लिस्ट आने की सम्भावना है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष की किसान यात्रा, 27 साल यूपी बेहाल यात्रा और राहुल संदेश यात्रा का जनता पर असर हुआ है और लोगों का पार्टी में विश्वास बढ़ा है। कांग्रेस को नगण्य मानने वाले लोग भी आज पार्टी की चर्चा कर रहे हैं।
राज बब्बर ने बताया की कांग्रेस उपाध्यक्ष संसद सत्र खत्म होने के बाद एक बार फिर से राज्य में सक्रिय होंगे। विधानसभा चुनाव के लिये पार्टी के प्रचार अभियान की जोरदार शुरआत के बाद उसके धीमा पड़ने के कारण के बारे में उन्होंने बताया कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद समेत कई प्रमुख नेता उत्तर प्रदेश से हैं। ऐसे में नोटबंदी तथा अन्य तमाम महत्वपूर्ण मामलों पर केन्द्र को घेरने के लिये इन नेताओं को संसद सत्र पर ज्यादा ध्यान लगाना था, इसलिये प्रदेश में प्रचार अभियान पर कुछ असर पड़ा, लेकिन अब यह फिर जोर पकड़ेगा।