OROP को मुद्दा बनाकर जहर खाकर आत्महत्या करने वाले पूर्व फौजी रामकिशन ग्रेवाल के परिवारवालों से मिलने गए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को दिल्ली पुलिस ने पहले अस्पताल में रोक दिया। फिर उनको काफी देर तक थाने में बिठाए रखा । 3 घंटे में राहुल गांधी 2 बार डिटेन किए गए। राहुल पहली बार दोपहर 2 बजकर 50 मिनट पर आरएमएल हॉस्पिटल के बाहर से हिरासत में लिए गए। उन्हें दोपहर करीब 4 बजे रिहा कर दिया गया। इसके बाद शाम को दोबारा वे पूर्व फौजी रामकिशन के परिवार से मिलने पहुंचे। तब उन्हें शाम करीब 6 बजे कनॉट प्लेस से दोबारा हिरासत में लिया गया।
दूसरी बार रिहा होने के बाद राहुल ने मीडिया से कहा, “मेरा काम, मैं कांग्रेस का नेता हूं। मैंने उस परिवार से दो मिनट मिलना चाहा। मैंने क्या गलती की? मुझे अरेस्ट कर लिया और कहते हैं कि मैं मामले को पॉलिटिसाइज कर रहा हूं। सवाल ओरओपी का है। इसे किस तरह से किया जाए। शहीद के परिवार को हिरासत में क्यों लिया गया। पुलिस वाला कहता है कि उसे ऊपर से ऑर्डर मिले हैं। आपने उन्हें एक ऐसे दिन कष्ट दिया है। उन्हें बाहर निकलने तो दीजिए। सरकार इनसे माफी मांगे।”
दूसरी बार जब राहुल को हिरासत में लिया गया तो उन्हें बाकी कार्यकर्ताओं के साथ बस में बिठाया गया। इस दौरान कांग्रेस वर्कर्स की पुलिस से झड़प भी हुई। राहुल के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया, शीला दीक्षित और दीपेंद्र हुड्डा को भी हिरासत में लिया गया है। इन्हें तिलक मार्ग थाने ले जाया गया है।
राहुल को आरएमएल अस्पताल से हिरासत में लेकर दिल्ली के मंदिर मार्ग थाने ले जाया गया। वहीं, आर्मी में सूबेदार रहे रामकिशन के परिवार के लोगों को भी पुलिस हिरासत में लेकर यहां लाई थी। रामकिशन के परिवार के लोगों को रिहा करने की मांग करते हुए राहुल गांधी यहां एक पुलिस अफसर से उलझ गए।
राहुल को आरएमएल अस्पताल से हिरासत में लेकर दिल्ली के मंदिर मार्ग थाने ले जाया गया। वहीं, आर्मी में सूबेदार रहे रामकिशन के परिवार के लोगों को भी पुलिस हिरासत में लेकर यहां लाई थी। रामकिशन के परिवार के लोगों को रिहा करने की मांग करते हुए राहुल गांधी यहां एक पुलिस अफसर से उलझ गए।
राहुल गांधी और पुलिस इंसपेक्टर की थाने में हुई बातचीत।
राहुल: (पुलिस अफसर से पूछा) ये (रामकिशन के परिवार के लोग) अरेस्ट हैं या नहीं? अगर अरेस्ट नहीं हैं तो तुरंत निकालिए। अरेस्ट हैं तो इनके साथ मुझे अरेस्ट कीजिए। (राहुल के सामने रामकिशन के बेटे-भाई बैठे थे।)
राहुल: (पुलिस अफसर से पूछा) ये (रामकिशन के परिवार के लोग) अरेस्ट हैं या नहीं? अगर अरेस्ट नहीं हैं तो तुरंत निकालिए। अरेस्ट हैं तो इनके साथ मुझे अरेस्ट कीजिए। (राहुल के सामने रामकिशन के बेटे-भाई बैठे थे।)
रामकिशन का बेटा:ये मेरे दामाद जी, मेरे छोटे भाई। हमें बहुत मारा। गाली दी। लात-घूंसे मारे।
राहुलः(दूसरे अफसर से) भैया बताइए। ये (रामकिशन के परिवार के लोग) अरेस्ट हैं?
दूसरा अफसर:हां।
दूसरा अफसर:हां।
राहुल:मैं भी अरेस्ट हूं?
अफसरःनहीं।
राहुलःमैं इनको ले जा सकता हूं?
अफसर: नहीं।
अफसरःनहीं।
राहुलःमैं इनको ले जा सकता हूं?
अफसर: नहीं।
राहुलःनहीं अलाउड है? …नहीं? हिंदुस्तान में आपने इनको अरेस्ट क्यों किया? मैं इन्हें बाहर नहीं ले जा सकता?
अफसरःनहीं सर, प्लीज।
अफसरःनहीं सर, प्लीज।
राहुलः कौन बताएगा?
अफसर:ये सीनियर अफसर बताएंगे।
राहुल:कौन बताएंगे, नाम क्या है?
अफसरःआप बाहर वेट कीजिए।
राहुलःहमें भी अरेस्ट कर लीजिए। मुझे क्यों नहीं करते?
अफसरःजैसा आदेश है।
अफसर:ये सीनियर अफसर बताएंगे।
राहुल:कौन बताएंगे, नाम क्या है?
अफसरःआप बाहर वेट कीजिए।
राहुलःहमें भी अरेस्ट कर लीजिए। मुझे क्यों नहीं करते?
अफसरःजैसा आदेश है।
राहुलः(नाराज होकर) ये जो शहीद के बेटे हैं, हिंदुस्तान में इनको अरेस्ट करते हैं? आपको शर्म नहीं आती है क्या? कैसा काम कर रहे हैं आप? ये पिताजी हैं। ये भाई हैं। आप इनको अरेस्ट कर रहे हैं?
राहुलः(दूसरे अफसर से) आपका नाम क्या है?
अफसर: इंस्पेक्टर ललित।
राहुलः आपको क्या लगता है कि हिंदुस्तान के शहीद के परिवार को अरेस्ट किया जाना चाहिए?
अफसर: इंस्पेक्टर ललित।
राहुलः आपको क्या लगता है कि हिंदुस्तान के शहीद के परिवार को अरेस्ट किया जाना चाहिए?