उत्तर प्रदेश में राजनीति हर रोज नए रंग ले रही है। जब से अखिलेश यादव ने पिता से साईकिल की जंग जीती है उनके हौसले बुलंद है और वो दूसरी पार्टियों से गठबंधन भी अपने शर्तों पर करना चाहते हैं। कांग्रेस के साथ लगभग तय हो चुके गठबंधन के बीच समाजवादी पार्टी ने अपने २०९ उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी जिसमें ९ ऐसी सीटें हैं जहां से कांग्रेस के विधायक हैं और कुछ सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस दूसरे और तीसरे स्थान पर थी। कांग्रेस विधायकों वाली सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को उतारे जाने से कांग्रेस बिफरी हुई है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से अभी कोई भी आधिकारिक बयान नहीं आया है।
इस बीच तालमेल में मुख्य भूमिका निभा रही प्रियंका गांधी ने उम्मीद नहीं छोड़ी है और समाजवादी पार्टी से गठबंधन को अंतिम रूप देने के लिए अपने एक भरोसेमंद दूत को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बातचीत करने के लिए लखनऊ भेजा है। कांग्रेस के गढ़ कहे जाने वाले अमेठी और रायबरेली की सीटों को लेकर भी पेच फंसा हुआ है। सीटों की संख्या से ज्यादा महत्व इन जिलों की सीटों के लेकर है और प्रियंका संख्या की बजाय अपने गढ़ में चुनौती नहीं चाहती।
कांग्रेस चाहती है कि समाजवादी पार्टी इन दोनों जिलों में अपने उम्मीदवार न उतारे। एसपी सूत्रों ने बताया कि प्रियंका के भरोसेमंद, धीरज, फिलहाल लखनऊ के एक होटल में ठहरे हुए हैं और सीएम अखिलेश की ओर से कॉल का इंतजार कर रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने भी गठबंधन बचाने के लिए प्रियंका गांधी की भूमिका की पुष्टि की है, लेकिन उनकी ओर से भेजे गए दूत के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
उधर कांग्रेस के कुछ नेताओं ने अखिलेश यादव पर वादे से मुकरने का आरोप लगाया है। कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने कहा, ‘इस गठबंधन पर एसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और सीनियर कांग्रेस नेताओं ने मुहर लगाई थी। हम एक बार फिर से अखिलेश के संपर्क में है।’ ऐसे वक्त में जब लग रहा था कि दोनों दलों का गठबंधन लगभग हो चुका है, तब अखिलेश ने सीटों का ऐलान कर पसोपेश का माहौल पैदा कर दिया।माकन ने यह भी कहा कि इस मामले को प्रभारी गुलामनबी आजाद देख रहे हैं और वही इस बारे में सही स्थिति की जानकारी दे सकते हैं।