राजनीति के फौगाट यानी समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम के राजनीतिक जीवन का सबसे कठिन समय है। भाई औऱ बेटे के बीच फंसे लोहिया के इस लंबरदार को ऐसे वक्त से सामना करना पड़ेगा शायद उन्होंने सोचा भी नहीं होगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बेटे अखिलेश और पिता समाजवादी मुलायम सिंह के बीच आज शक्ति परीक्षण है। दोनों ने अलग अलग अपने समर्थकों औऱ विधायकों की बैठक बुलाई है।
मुलायम ने ‘आधिकारिक’ तौर पर जिन 393 उम्मीदवारों की सूची जारी की है उन सभी को बैठक के लिए बुलाया है। इनमें बहुत से उम्मीदवार हैं जो अखिलेश यादव द्वारा जारी की गई लिस्ट में भी हैं। यह उनके लिए भी कठिन समय है क्योंकि आज उनको भी अपना पक्ष साफ तौर पर रखना है। इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सभी उम्मीदवार दोनों बैठक में जाएंगे। निस्संदेह नहीं इसलिए यह दंगल उत्तर प्रदेश में मौजूदा राजनीति के भविष्य, अगली होने वाली सरकार के भविष्य औऱ अखिलेश यादव के भविष्य से भी जाले साफ करेगा।
इस मीटिंग से पिता-पुत्र साबित करना चाहेंगे कि पार्टी के ज्यादातर विधायक और नेता उनके समर्थन में हैं। अगर मुलायम सिंह की बैठक में उम्मीदवारों की मौजूदगी थोड़ी भी कम होती है तो यह मुलायम सिंह ही नहीं उनके भाई शिवपाल यादव के लिए काफी शर्मिंदगी वाला होगा। ऐसे में शिवपाल कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहेंगे।
आपको याद दिला दें कि मुलायम सिंह ने अपना राजनीतिक करियर बनाने के लिए अपने कई साथियों जैसे चौधरी चरण सिंह, वीपी सिंह और चंद्रशेखर से नाता तोड़ लिया था, अपनी अलग पार्टी बनाई और प्रदेश की राजनीति में दबदबा भी। आज वक्त का पहिया फिर घूमा है और आज उनका अपना बेटा उन्हें चुनौती दे रहा है। और वो भी तब जब इसी साल पार्टी ने अपनी रजत जयंती मनाई है।
यह बैठक ही तय करेगी कि उत्तर प्रदेश में अब यदुवंश की कमान कौन संभालेगा। इसी बैठक से तय होगा कि पार्टी पर किसकी पकड़ ज्यादा मजबूत है। अखिलेश ने बैठक की शुरुआत में ही कहा है कि वो पार्टी से अलग हुए हैं पिता से नहीं। उत्तर प्रदेश जीत कर पिता को तोहफे में दूंगा । अखिलेश अपनी साफ छवि के साथ अपनी छवि ऐसा भी बना कर रखना चाहते हैं कि उनको अपने पिता और पार्टी के आदर्शों से कोई शिकवा शिकायत नहीं है। पार्टी के अहम दो किरदार आज की इस लड़ाई में मोजूद नहीं है, अमर सिंह लंदन में है लेकिन वहीं से उन्होंने मुलायम का साथ देने की अपील की है। और आजम खान ने कहा कि वो दोनों में से किसी भी बैठक में नहीं जाएँगे।