यूनिफार्म सिविल कोड और तीन तलाक पर नेशनल लॉ कमीशन की प्रश्नावली पर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा । एक तरफ जहां इस्लाम धर्म के ठेकेदार तो शामिल हैं ही वही अल्पसंख्यकों के वोटों पर गिद्ध की माफिक नज़र गड़ाए सत्ता के ठेकेदार भी शामिल हैं। जबकि ज्यादातर मौकों पर इसका विरोध आम पब्लिक करती नहीं दिख रही है। इसकी मुखालफत करने वालों में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सबसे आगे आगे दिख रहा है ।
इस विरोध की एक बानगी देखिए … एक तरफ जहां पटना में कांग्रेस के कार्यक्रम में वली रहमानी ने इसके खिलाफ आग उगला वहीं दूसरी तरफ राजगीर में अपने सुशासन की बंशी बजा रहे नीतीश कुमार ने भी तीन तलाक के मामले पर नरेंद्र मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया।
17 अक्टूबर को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में कांग्रेस ने दलितों और अल्पसंख्यकों के लिए एक कार्यक्रम रखा, कांग्रेस के लिए यह कार्यक्रम तो मानो ऐसे हो गया जैसे ”पूत मांगने गए थे सुहाग गवां कर लौटे ” । इस कार्यक्रम में कांग्रेस के बड़े मुस्लिम नेता गुलाम नबी आजाद सहित और कई दलित नेता और नुमाईन्दे पहुंचे थे, साथ ही वहां मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव वली रहमानी भी आये थे। एक बड़ा मुस्लिम वोट बैंक वहां मौजूद था, अल्पसंख्यक वोटों राजनीति करने वाली कांग्रेस मौके को गंवाना नहीं चाहती थी लिहाजा वक्ता वली रहमानी भी थे । उन्होंने सरकार को जमकर कोसा, लॉ कमीशन के प्रस्ताव को सीधे सीधे सरकार की कारगुजारी करार दिया और बोलते बोलते जजों के खिलाफ भी टिप्पणी कर गए।
दूसरी तरफ तीन तलाक और यूनिफार्म सिविल कोड पर नीतीश कुमार पार्टी की गद्दी संभालने के बाद नहीं बोले यह कैसे हो सकता था। नीतीश कुमार ने यूनिफार्म सिविल कोड और तीन तलाक मामले पर सीधे सीधे नरेंद्र मोदी पर हमला किया, उन्होंने कहा कि “वो कौन होते हैं इस पर फैसला करनेवाले , मुस्लिम महिलाओं के हक़ पर उन्हें खुद लड़ने दे, अधिकार लेने दे ?”