नोटबंदी के साइड इफेक्ट्स धीरे धीरे सामने आ रहे हैं। सरकार ने जिन पॉजिटिव परिणामों की उम्मीदें लगा रखी हैं और जिसे बहुप्रचारित किया है वो अभी तक देखने को नहीं मिल रहा लेकिन संस्थाएं धीरे धीरे अपना बातें रख रही हैं। नोटबंदी लागू करने को लेकर रिजर्ब बैंक ऑफ इंडिया के इम्प्लॉइज खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं। इन कर्मचारियों ने आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को एक पत्र लिखकर अपना तकलीफ बताई है और विरोध भी दर्ज कराया है।
इमेज खराब हुई
पत्र में लिखा गया है कि नोटबंदी की प्रॉसेस को लागू करने में सरकार की तरफ से प्रबंधन की खामियां उजागर हुईं और जिस तरीके से करंसी को-ऑर्डिनेशन के लिए अलग से एक अफसर को नियुक्त किया गया वो कतई उचित नहीं था। इस पूरी प्रक्रिया से आरबीआई की स्वायत्तता पर असर पड़ा है। पत्र में लिखा गया है कि जिस आरबीआई की इफिशियन्सी और फ्रीडम वाली इमेज सालों की मेहनत से बनी थी उसे एक झटके में ही खत्म कर दिया गया। यह बेहद दुख और तकलीफ की बात है। इसे फिर से पाने में वक्त लगेगा।
वित्त मंत्रालय का दखल बंद हो
पत्र के जरिए उर्जित पटेल से गुजारिश की गई है कि आरबीआई की ऑटोनोमी को सुरक्षित रखने के लिए वित्त मंत्रालय के दखल को रोकने के लिए कुछ जरुरी फैसले लें। इनका मानना है कि आरबीआई को फाइनेंस मिनिस्ट्री के अस्सिटेंस की जरूरत नहीं है। इसे स्वीकार भी नहीं किया जा सकता है।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इस पत्र पर ऑल इंडिया रिजर्व बैंक इम्प्लॉइज एसोसिएशन के समीर घोष, ऑल इंडिया रिजर्व बैंक वर्कर्स फेडरेशन के सूर्यकांत महादिक, ऑल इंडिया रिजर्व बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के सीएम पॉलसिल और आरबीआई ऑफिसर्स एसोसिएशन के आरएन वत्स के दस्तखत हैं।