H-1B वीजा से जुड़ा बिल अमेरिकी संसद में पेश होने के बाद सारी दुनिया की नजर उस पर टिकी है। इसी बीच इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने भारतीय आईटी कंपनियों को इस वीजा को यूज न करने की हिदायत दी है। उनके मुताबिक इन कंपनियों को अमेरिका में स्थानीय स्तर पर ही लोगों को नौकरी पर रखना चाहिए। मूर्ति ने हिदायत देते हुए कहा कि अमेरिका में माैजूद इंडियन आईटी कंपनियों को अमेरिकीयों को नौकरी पर रखना चाहिए। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि जो कंपनियां कनाडा में या फिर ब्रिटेन में हैं, तो उन्हें भी उन देशों के सिटिजंस को नौकरी पर रखना चाहिए। यही एक रास्ता है, जिसके जरिए हम मल्टीनेशनल कंपनी बन सकते हैं। और ऐसा करने के लिए जरूरी है कि एच1-बी वीजा का यूज न किया जाए। हमें इस वीजा के जरिए यूएस में इंडियन प्रोफेशनल्स को भेजना बंद करना होगा।
नारायण मूर्ति ने यह बात ऐसे समय में कही है कि जब भारत के लाखों आईटी प्रोफेशनल्स की बदौलत अमेरिका में स्थित दुनिया की तकरीबन सारी बड़ी कंपनियां संचालित होती हैं। एक अमेरिकी टीवी चैनल से बात करते हुए नारायण मूर्ति ने कहा कि भारतीयों का माइंडसेट हमेशा आसान रास्ता अपनाने का होता है। उन्होंने कहा कि इन देशो के इंस्टीट्यूट्स से ही भर्ती की जानी चाहिए और स्थानीय लोगों को ट्रेनिंग देकर भारतीय कंपनियों को अपनी अहमियत बढ़ानी चाहिए।
भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स की बदौलत इंफोसिस को दुनिया की बड़ी आईटी कंपनियों में शुमार कराने के बाद नारायण मूर्ति का यह बयान काफी चौंकाने वाला है। हालांकि इसी बीच भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि अभी ट्रम्प ने एच-1वी वीजा के एक्जिक्यूटिव ऑर्डर पर दस्तखत नहीं किए हैं। ऐसा होता है तो सरकार उस पर रियेक्ट करेगी।