एक दौर में कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार और प्रधानमंत्री पद के दावेदार नारायण दत्त तिवारी इक्कानवे साल की उम्र में बीजेपी में शामिल हो गए। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके नारायण दत्त तिवारी का एक समय राज्य की राजनाति में जबरदस्त दबदबा था। उम्र के जिस दौर में राजनीति तो छोडि़ए सामान्य दिनचर्या से भी लोग संन्यास ले चुके होते हैं उस दौर में दल बदल कर दूसरी पार्टी का दामन थामना जहां से न तो चुनावी राजनीति में रहेंगे और न ही पार्टी का प्रचार कर पाएँगे, बड़ा ही दिलचस्प है।
दरअसल एनडी तिवारी अपनी इस पारी में अपने डीएनए वाले बेटे को राजनीति में स्थापित करना चाहते हैं। तिवारी के साथ उनके बेटे रोहित शेखर ने भी पार्टी की सदस्यता ली। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने निवास पर दोनों को पार्टी की सदस्यता दिलाई। ऐसा माना जा रहा है कि रोहित शेखर हल्द्वानी सीट से बीजेपी के उम्मीदवार होंगे।
यूपी में अखिलेश यादव ने तिवारी की राजनीति का ख्याल करते हुए उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दे रखा था, लेकिन एनडी अपने बेटे को स्थापित करना चाहते थे और इसी प्रयास में अपने जीवन के नब्बे दशक बिता चुकने के बाद उन्होने बेटे की खातिर बीजेपी में शामिल होना स्वीकार कर लिया।