मोदी ने क्या ग़लत कहा था कि अगर देश और विदेश में रखा सारा काला धन बाहर आ जाए, तो देश के हर नागरिक के खाते में 15 लाख रुपये आ सकते हैं।
चुनाव से पहले दिया गया मोदी का यह बयान केंद्र में सरकार बनने के बाद उनके गले की हड्डी बन गया था। सारे विपक्षी नेता हर रोज़ उनसे अपने एकाउंट में 15 लाख रुपये मांगने लगे। विपक्षी नेताओं के व्यंग्य वाणों से सत्तारूढ़ बीजेपी इस कदर घायल और बदहवास हुई कि ख़ुद उसके अध्यक्ष अमित शाह ने नरेंद्र मोदी के बयान को चुनावी जुमला करार दे दिया। फिर और भी अधिक मज़ाक उड़ा। ऊपर से विरोधी नेताओं द्वारा अपने एकाउंट में 15 लाख रुपये की मांग भी कभी बंद नहीं हुई। 4000 रुपये बदलवाने के लिए बैंक की लाइन में लगने वाले देश के सबसे ग़रीब नेता राहुल गांधी तो अब तक न जाने कितनी बार प्रधानमंत्री से पंद्रह लाख रुपये की मांग कर चुके हैं।
अब ज़रा नोटबंदी के बाद की वस्तुस्थिति पर ग़ौर कीजिए। ख़बरें लगातार आ रही हैं कि कई मोटे सेठ ग़रीबों के जन-धन खातों में अपना काला पैसा जमा कर रहे हैं।
- 15 दिन के भीतर ही जन-धन खातों में 64 हज़ार 252 करोड़ रुपये से अधिक जमा हो चुके हैं।
- अभी नोटबंदी के 35 दिन बाकी हैं, इसलिए अगर गणित का ऐकिक नियम भी लगा लें, तो अनुमान है कि इन खातों में करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये और जमा हो सकते हैं।
- यानी नोटबंदी की प्रक्रिया पूरी होते-होते देश के 25.58 करोड़ जनधन खातों में करीब दो लाख 15 हज़ार करोड़ रुपये जमा हो सकते हैं।
- यानी हर खाते में औसतन 8405 रुपये।
- कुछ अर्थशास्त्रियों और पूर्व बीजेपी नेता गोविंदाचार्य के गणित के मुताबिक, जीडीपी के 20 फीसदी के हिसाब से, पिछले 15 साल में देश में कम से कम 400 लाख करोड़ रुपये काला धन तैयार हुआ है।
- और मेरे गणित के मुताबिक, इनमें से अधिकतम 4 लाख करोड़ रुपये काला धन ही नोटबंदी की प्रक्रिया से बाहर आ सकेगा।
- यानी पिछले 15 साल में तैयार हुए देश के कुल काला धन का मात्र एक प्रतिशत।
- अगर सिर्फ़ एक प्रतिशत काला धन बाहर आने से हर जन-धन खाते में औसतन 8405 रुपये जमा हो सकते हैं,
- तो 100 प्रतिशत काला धन बाहर आ जाए, तो हर खाते में औसतन 8 लाख 40 हज़ार रुपये आ सकते हैं।
- चलिए मान लेते हैं कि 1947 से 2000 तक के 53 सालों में भी देश में उतना ही काला धन तैयार हुआ होगा, जितना 2001 से 2015 के बीच तैयार हुआ। यानी सिर्फ़ 400 लाख करोड़।
- इस स्थिति में, देश के गरीबों के खाते में औसतन 8 लाख 40 हज़ार रुपये और आ सकते हैं।
- यानी कुल 16 लाख 80 हज़ार रुपये।