पंजाब के अमृतसर में शनिवार को शुरू हुए हार्ट ऑफ एशिया कॉन्फ्रेंस में मुख्य तौर पर आतंकवाद, कट्टरवाद और चरमपंथ के खतरे पर विचार किया जाएगा। भारत, चीन, रूस, ईरान और पाकिस्तान समेत 14 देशों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों के साथ 17 सहयोगी देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हो रहे हैं। इस कॉन्फ्रेंस में आतंकवाद का मुद्दा काफी अहम रहने वाला है। भारत आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरने की पुरजोर कोशिश कर सकता है, जिसमें अफगानिस्तान का साथ भी मिलने की उम्मीद है। कॉन्फ्रेंस से पहले भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर और अफगानिस्तान के उपविदेश मंत्री हिकमत खलील करजई के साथ बातचीत हुई, जिसमें दोनों ने पाकिस्तान ‘प्रायोजित’ आतंकवाद को क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है।
उड़ी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान में तनाव है। अफगानिस्तान और बांग्लादेश समेत दूसरे सार्क देशों ने भी भारत का समर्थन करते हुए सार्क सम्मेलन में न शामिल होने का ऐलान किया था, जिसके बाद पाकिस्तान को सार्क सम्मेलन रद्द करना पड़ा था। हालांकि दो दिन तक चलने वाले इस कॉन्फ्रेंस से इतर भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ रहे तनाव पर बात होने की संभावना जताई जा रही हैं। पाकिस्तान की ओर से विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज कॉन्फ्रेंस में शिरकत कर रहे हैं, लेकिन जानकारों ने दोनों देशों बीच वार्ता को मुश्किल बताया है।
आपको बता दें कि आतंकवाद, चरमपंथी ताकतों और गरीबी से निपटने के लिए अफगानिस्तान और इसके पड़ोसी राष्ट्रों के बीच आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए 2011 में इस कॉन्फ्रेंस की शुरूआत की गई थी। जिसमें चीन, भारत, रूस, ईरान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, अजरबैजान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, सउदी अरब, ताजिकिस्तान, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान और यूएई शामिल हैं।