नोटबंदी से कुछ दिन पहले बीजेपी द्वारा बिहार के कई ज़िलों में ज़मीन खरीदे जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। जनता दल यूनाइटेड और आरजेडी ने इस मामले की जांच की मांग की है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500 और 1000 के नोट बंद करने के एलान से कुछ दिन पहले ही बीजेपी ने अपने विधायकों संजीव चौरसिया, लाल बाबू प्रसाद और दिलीप कुमार जायसवाल के नाम पर कई ज़िलों में ज़मीनें खरीदीं।
बीजेपी विधायक संजीव चौरसिया ने इस बारे में कबूल किया है कि ये ज़मीनें केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर खरीदी गई हैं और इनका मकसद अलग-अलग ज़िलों में पार्टी दफ्तर बनाना है। वहीं, वरिष्ठ बीजेपी नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि ये सारे सौदे पारदर्शी तरीके से किए गए हैं और इनका नोटबंदी से कोई लेना-देना नहीं है।
जनता दल यूनाइटेड ने मांग की है कि इस मामले की न्यायिक जांच और संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराई जाए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इन सौदों में कहीं काले धन का इस्तेमाल तो नहीं हुआ है। जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार के मुताबिक, बीजेपी ने 4.7 करोड़ रुपये ख़र्च करके 6 सितंबर को लखीसराय जिले में, 14 सितंबर को मधुबनी और मधेपुरा ज़िलों में, 16 सितंबर को कटिहार जिले में और 19 सितंबर को किशनगंज और अरवल जिलों में ज़मीनें खरीदी हैं।
आरजेडी और कांग्रेस ने भी इन सौदों पर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि पीएम के एलान से कुछ महीने पहले खरीदे गए इन सौदों में काले धन का इस्तेमाल हुआ हो सकता है।