कालाधन के खिलाफ मुहिम की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यह महज शुरुआत है, और भी कड़े फैसले लिए जाएंगे। देश में जमा कालाधन बाहर निकालने के लिए सरकार ने बड़े नोट का चलन बंद किया। विपक्ष शुरु में योजनाएं बनाती रही है और फिर अचानक हमलावर हो गई। सरकार अपने फैसले पर टिकी हुई है और इसकी वजह यह है कि वो मानती है देश की जनता परेशानियों के बावजूद सरकार के साथ है।
नोटबंदी के अपने फैसले को सही ठहराते हुए प्रधानंत्री मोदी ने देश की जनता से कहा कि तीस दिसंबर के बाद बेनामी संपत्ति पर भी प्रहार होगा। बेनामी सौदों को रोकने के लिए बनाया गया कानून 1 नवबंर से प्रभाव में आ चुका है। ऐसे में बेनामी संपत्ति वाले लोग खासे परेशान हैं और संपत्ति से जुड़े सरकार दफ्तरों और वकीलों को बेनामी फोन कर जानकारी मांग रहे हैँ।
ऐसे लोग नए सख्त कानूनों के बाद से लोग प्रॉपर्टी जब्त होने से बचाने के लिए लॉ फर्म्स का सहारा लेने की सोच रहे हैं लेकिन जांच के डर से वह वकीलों से सीधे बात भी नहीं कर रहे हैं। आम चर्चा में यह बात लोग कर रहे हैं कि अब अगला निशाना बेनामी संपत्ति पर होगा। लोग एक दूसरे चर्चा कर रहे हैं कि नए कानून के तहत सरकार किस हद तक ऐक्शन ले सकती है। लोग पूछ रहे हैं कि कैसे नए कानून में प्रॉपर्टी जब्त होने से बचाई जा सकती है।’ प्रॉपर्टी जब्त होने के डर से क्लाइंट असली पहचान भी नहीं बता रहा है।’
सरकार ने अगस्त 2016 में बेनामी सौदा निषेध कानून को पारित किया था। इसके प्रभाव में आने के बाद मौजूदा बेनामी सौदे (निषेध) कानून 1988 का नाम बदलकर बेनामी संपत्ति कानून 1988 कर दिया गया है। संशोधनों के बाद सरकार को यह अधिकार है कि वह टैक्स से बचने के लिए दूसरे के नाम से खरीदी गई प्रॉपर्टी को जब्त कर सकती है।