पिता-पुत्र के बीच सिर्फ समाजवादी पार्टी नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की जनता भी पिस रही है। दोनों साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे या फिर दोनों एक दूसरे के खिलाफ चुनाव में उतरेंगे यह अभी तक साफ नहीं है और इसी वजह से कांग्रेस की रणनीति साफ नहीं हो पा रही । कांग्रेस जब तक प्रदेश में अपनी रणनीति का खुलासा नहीं करेगी प्रदेश के मुसलमान वोटर्स के लिए असमंजस के हालात बने रहेंगे।
एक तरफ चुनाव आयोग समाजवादी पार्टी की साइकिल पर अभी तक फैसला नहीं ले पाया है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। सुनवाई के दौरान दोनों गुट जिस तरह से दलीलें पेश कर रहे थे उससे सुलह के आसार नहीं लग रहे । प्रदेश की जनता का तो पता नही लेकिन वकीलों की चांदी हो रही है। अखिलेश की ओर से सीनियर कांग्रेस लीडर और वकील कपिल सिब्बल मामले में बहस कर रहे हैं। कांग्रेस और अखिलेश के गठबंधन के कयास काफी अरसे से लगाए जा रहे हैं।
हालांकि पिछले दिनो मुलायम सिंह बेटे अखिलेश के प्रति कुछ नरम दिखे थे लेकिन चुनाव आयोग के सामने वो झुकने को तैयार नहीं। अपना पक्ष रखते हुए मुलायम ने अपने वकीलों के जरिए कहा कि ‘अखिलेश यादव के समर्थन में जो हलफनामे सौंपे गए हैं, उनमें कुछ ऐसे लोगों के भी साइन हैं जो इस दुनिया में अब नहीं हैं, और कुछ ऐसे है जो कोमा में हैं।
मुलायम सिंह यादव के वकीलों ने कई शब्दों के इस्तेमाल पर भी आपत्ति जताई औऱ यह साबित करने की कोशिश की हलफनामे कॉपी किए गए हैँ। ऑरिजनल नहीं है और इसकी जांच होनी चाहिए । जिन हलफनामो को लेकर वकीलों ने विरोध जताया उसे अखिलेश के दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने वाले अधिवेशन में पास किया गया था।
चुनाव आयोग ने परिणाम जारी न करके दोनों गुटों की धड़कनें दो दिन और बढ़ाने का इंतजाम कर दिया है। आने वाले सोमवार को चुनाव आयोग के फैसले के बाद ही अब इस समाजवादी परिवार और उत्तर प्रदेश की मौजूदा चुनावी राजनीति की दिशा तय होगी।