नोटबंदी के बाद से सरकार कालाधन वालों पर नकेल कसने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। शुक्रवार को सरकार ने एक ईमेल एड्रेस जारी किया और लोगों से अनुरोध किया कि किसी भी किस्म के कालधन की जानकारी इस पते पर दें। अब तक इस पते पर 4000 मेल आ चुके हैं। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस कोशिश का ‘हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।’ इसके अलावा टैक्स अथॉरिटीज और दूसरी जांच एजेंसियों को बैंक अकाउंट्स में डिपॉजिट्स और दूसरी अनडिक्लेयर्ड इनकम के बारे में फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) के जरिए रोज जानकारी मिल रही है। यह यूनिट भी वित्त मंत्रालय के तहत काम करती है।
सरकार की इन संस्थाओँ को जो जानकारी मिली है, वह निष्क्रिय पड़े, जीरो बैलेंस वाले प्रधानमंत्री जनधन योजना खातों और शहरी सहकारी बैंक खातों में डिपॉजिट्स, लोन रीपेमेंट्स, क्रेडिट कार्ड पेमेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर, विदड्रॉल्स, जूलरी, लग्जरी गुड्स और रीयल्टी जैसी हाई-वैल्यू खरीदारियों के बारे में है। सरकार ने इस यूनिट को मिली सूचनाओं पर ऐक्शन लेना शुरू कर दिया है। अधिकारी ने कहा, ‘सिस्टम में काफी डेटा आ रहा है। डिपॉजिट्स पर हमें रोज रिपोर्ट्स मिल रही हैं। यही वजह है कि एजेंसियां इतना सटीक ऐक्शन ले पा रही हैं।’ इतना ही नहीं ज्यादा कैश बैलेंस दिखाने वाली कंपनियां भी टैक्स अधिकारियों के राडार पर आ सकती हैं।
सभी बैंकों के लिए संदिग्ध ट्रांजैक्शंस की जानकारी FIU को देना जरूरी है। बैंक किस कदर इसे अपना रहे हैं यह जानकारी अभी पुष्ट तौर पर नहीं मिली है लेकिन सरकार हर रोज जो नए फैसले कर रही है उससे साफ हो रहा है कि किसी भी कीमत पर कालाधन से जुड़े मामलों में रियायत देने के मूड में नहीं है।