दो नौजवानों को तेज़ाब से नहलाकर मारने के बाद उसके एक मात्र चश्मदीद गवाह की हत्या के आरोप में जेल में बंद शहाबुद्दीन को पिछले दिनों ज़मानत मिल गई। शहाबुद्दीन के बाहर आते ही बिहार की राजनीति में उबाल आ गया। जािहर है जिस निर्मम हत्या के आरोप में शहाबुद्दीन को जेल हुई थी उसे समाज के हित में जमानत नहीं मिलनी चाहिए। जब ऐसे कातिलों को अदालतें छूट देती हैं तो आम लोगों का न्याय व्यवस्था से भरोसा उठता है। जब नीतीश कुमार ने सत्ता में आने के बाद शहाबुद्दीन और उसके जैसों को सलाखों के पीछे डाला था तो बिहार की जनता ने नीतीश कुमार के फैसले को हाथों-हाथ लिया था। अब जबकि लालू-नीतीश गठबंधन की सरकार की मौजूदगी में अदालत ने शहाबुद्दीन को जमानत दी तो लोगों की भौहें तन गई।
दूसरी तरफ जिस किस्म की भीड़ और आवभगत शहाबुद्दीन की रिहाई पर हुई उससे बिहार के युवा भविष्य के संकेत बेहतर नहीं मिले। इन पूरी परिस्थिति में यह उम्मीद की जा रही थी कि लालू-नीतीश का विरोध करने वाली कोई पार्टी की तरफ से शहाबुद्दीन की जमानत को चुनौती दी जाती। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और यही बात सभी राजनीतिक दलों को एक ही कटघरे में खड़ा करती हैं।
इस बीच एक अच्छी बात यह हुई कि वरिष्ठ वकील और स्वराज अभियान के मुख्य स्तंभ प्रशांत भूषण ने कहा कि वो शहाबुद्दीन की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। प्रशांत भूषण ने ट्वीट करके अपना इरादा जाहिर किया है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘यह शर्मनाक है कि इतने गंभीर आरोप के बाद भी उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी। प्रशांत भूषण ने इस संबंध में जानकारी दी है कि राजीव रौशन के माता-पिता से फोन पर बातचीत हुई। उन्होंने फोन कर उनसे मदद की गुहार लगायी है और वो इस मामले में उसकी मदद जरूर करेंगे। प्रशांत भूषण ने हाईकोर्ट के फैसले पर भी सवाल खड़ा किया उन्होंने कहा कि उन पर जिस तरह के गंभीर आरोप है उन्हें जमानत बिल्कुल नहीं दी जानी चाहिए। प्रशांत भूषण ने इशारों में कहा कि संभव है कि शहाबुद्दीन को बाहर निकालने में किसी तरह की मदद की गयी हो लेकिन इस बार में वो कुछ भी साफ कहने से बचते रहे।