सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के मामले में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है, यदि कोई पत्नी, पति को माता-पिता और परिवार से अलग करने के लिए मजबूर करती है, तो यह ‘क्रूअल्टी’ (क्रूरता) मानी जाएगी। वो भी सिर्फ इसलिए कि वह पति की इनकम से एंजॉय करना चाहती है। इस आधार पर हिन्दू पति, पत्नी को तलाक दे सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए. आर. दवे और एल. नागेश्वर राव की बेंच ने अपने फैसले में कहा, ‘पत्नी द्वारा पति के खिलाफ झूठे आरोप, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर, आत्महत्या करने की धमकी देना भी ‘मानसिक क्रूरता’ है। यह भी तलाक का आधार हो सकता है।’ कोर्ट का यह फैसला नरेंद्र वर्सेज कुमारी मीरा के मामले में आया है। इसमें पति ने कोर्ट से अपनी 24 साल की शादी को रद्द करने की अनुमति मांगी थी। इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। पहले हाईकोर्ट ने निचली कोर्ट का फैसला पलटते हुए कहा था कि पत्नी की ख्वाहिश सही है। वह पति की इनकम फैमिली मेंबर्स पर खर्च करने के बजाय खुद इस्तेमाल करना चाहती है।
कोर्ट ने कहा कि ‘पत्नी की यह जिद सिर्फ निराधार है कि पति परिवार से अलग हो जाए, और वह पति के साथ अकेले रहना चाहती है।‘
‘हमारी राय में, आमतौर पर कोई भी पति यह बर्दाश्त नहीं करेगा। और कोई भी बेटा अपने बुजुर्ग माता-पिता और फैमली के दूसरे मैंबर्स से अलग नहीं होना चाहेगा। जो उसकी इनकम पर डिपेंड हैं।‘ ‘पत्नी का रवैया पति के लिए काफी डरावना और खतरनाक हो सकता है। इस तरह टार्चर होने से पति की पूरी जिंदगी बरबाद हो सकती है।
‘हमारी राय में, आमतौर पर कोई भी पति यह बर्दाश्त नहीं करेगा। और कोई भी बेटा अपने बुजुर्ग माता-पिता और फैमली के दूसरे मैंबर्स से अलग नहीं होना चाहेगा। जो उसकी इनकम पर डिपेंड हैं।‘ ‘पत्नी का रवैया पति के लिए काफी डरावना और खतरनाक हो सकता है। इस तरह टार्चर होने से पति की पूरी जिंदगी बरबाद हो सकती है।