मुंबई। बैंकों और ATM के बाहर कतार में खड़े लोगों का दर्द तो सबको दिखता है, लेकिन बैंक के भीतर काम करने वाले बैंकर्स का दर्द कोई नहीं समझ पाता है। नोटबंदी के ऐलान के बाद से ये बैंकर्स लगातार बिना थके काम कर रहे हैं। लोगों के गुस्से, उनकी नाराजगी, उसके सवालों का लगातार जवाब दे रहे है, लेकिन उनके माथे पर सिकन तक नहीं।
बैंक में नोट बदलने के लिए आने वाले लोग कभी इन्हें गालियां दे रहे हैं तो कोई अपना कालाधन उजागर होने की वजह से इन बैंकर्स को धमकियां दे रहा है। लेकिन कोई इन बैंकर्स के दर्द को नहीं समझता। ऐसे में महिला बैंकर्स ने फेसबुक पर अपना दर्द बयां किया है। फेसबुक पर ‘ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे’ पेज ने एक पोस्ट में मुंबई की एक बैंक के मैनेजर ने लिखा है कि नोटबंदी के बाद लोगों की कतार बैंकों के बाहर लंबी हो रही है तो बैंक कर्मचारियों की परेशानियां भी बड़ रही है। उन्हें न खाने की फुरसत हैं ना दो पल चैन से सांस लेने की। महिला बैंकर ने अपना दर्द शब्दों में बयां करते हुए लिखा है कि हमारे पास वह काला धन जमा करवाया जा रहा है, जो संभवतः कई-कई सालों से छिपाकर रखा गया था, और उसमें से सड़े हुए चमड़े जैसी दुर्गंध आ रही है।
नोटों से आने वाली इस बदबू से बचने के लिए हमारी हर शाखा में काम करने वाले कैशियरों के लिए मास्क का ऑर्डर किया गया है। बैंक कर्मचारी खुद भी भूखे-प्यासे रहकर लगातार काम कर रहे हैं। बैंकर लिखती हैं कि बैंक आने वाले कुछ लोगों का व्यवहार बेहद अजीब है । वो लोग हमसे बुरी तरह पेश आ रहे हैं। लोग उन्हें गालियां दे रहे हैं। कोई उनपर चिल्ला रहा है तो कोई मुझे दोष दे रहा है। इतना ही नहीं जिन लोगों को इस फैसले की वजह से मजबूर होकर अपना काला धन उजागर करना पड़ रहा है, वो बैंकर्स को धमकियां दे रहे हैं। लोग उन्हें धमकियां दे रहे हैं कि अगर हमने उनके पैसे को नहीं बदले तो अच्छा नहीं होगा। महिला बैंकर का ये पोस्ट तेजी से वायरल हो रहा है।
वहीं एक सरकारी बैंक में काम करने वाली प्रतिभा झा ने भी फेसबुक पेज पर अपना दर्द बयां किया है। प्रतिभा लगातार बिना थके, भूखे प्यासे काम करने करा जिक्र करती है। वो लोगों के सवालों और उनकी नराजागी की बात लिखती है, लेकिन वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस कदम की सराहना करती है।