एक के बाद एक आम आदमी पार्टी के नेताओं की कलई खुलने के बाद जाहिर है लोगों का भरोसा आम आदमी पार्टी से कम हो रहा होगा। लेकिन बार बार जब उस पार्टी के किसी न किसी नेता, मंत्री की हकीकत जनता के सामने आती है मीडिया मुंह उठाए बाबू किशन राव हजारे के पास चला जाता है आप सही समझे अन्ना हजारे के पास । हर बार अन्ना से एक ही सवाल अरविंद के बारे में आप क्या कहेंगे । अन्ना का बार-बार वही घिसा-पिटा जवाब कि टीम अन्ना बिखर गई, पक्ष और पार्टी से देश नहीं बदल सकता, वगैरह वगैरह । मैं पूछता हूं कि अरविंद केजरीवाल के बारे में देश को अपनी राय बताने वाले अन्ना के जवाब की आखिर कोई अहमियत भी रह गई है । दिल्ली की जनता ने तमाम खुलासों के बावजूद प्रचंड बहुमत से अरविंद केजरीवाल को सत्ता में बिठाया लिहाजा यह सवाल दिल्ली की जनता से पूछा जाना चाहिए कि डेढ़ साल की सत्ता के बाद आपको क्या लगता है अरविंद केजरीवाल के बारे में । दिल्ली की सरकार के बारे में और अरविंद के गैंग के बारे में।
मेरा मानना है कि अरविंद के बारे में अन्ना से कुछ भी पूछना फिजूल है क्योंकि अन्ना इतने समझदार होते तो अरविंद केजरीवाल जैसे धूर्त इंसान के भुलावे में न पड़ते। यकीन मानिए अन्ना इस देश के , दिल्ली के और देश की आम जनता के गुनहगार हैँ। अगर अन्ना समझदार होते और यह भांप गए होते कि अरविंद उनका किस तरीके से इस्तेमाल करना चाहते हैं तो देश को यह दिन न देखना पड़ता और आंदोलन जैसे शब्दों से हमारा भरोसा न उठता। अगर अन्ना इतने ही दूरदर्शी होते तो जिस सत्ता की चूलें उनके अपने दम पर देश की जनता ने मीडिया के साथ मिलकर हिला दीं उस सत्ता पर अरविंद काबिज न होते और अन्ना लोकनीति के हाशिए पर ढेकेले गये न होते। अगर अन्ना इतने काबिल होते तो आज देशहित में सत्ता के केंद्र में सत्ता की आंख का रोड़ा होते न कि ऐसी हालत में जहां उनसे सिर्फ एक इंसान और उस पार्टी के बारे में राय ली जाती है जिसने आंदोलन, धरना , आम आदमी और अब आम आदमी की सबसे बड़ी पहचान राशन कार्ड को भी संकट ला खड़ा किया है।
यकीन मानिए अन्ना इस सदी के देश के सबसे बड़े गुनहगार हैं और अब उनकी राय इस देश के लिए शायद तब तक कोई मायने नहीं रखती जब तक वो इसका प्रायश्चित न कर लें।
अनुरंजन झा की जल्द प्रकाशित होने वाली किताब ” Series of False Gods ” का हिस्सा