जिस वक्त जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने पाकिस्तान से पेशकश की है कि वह कश्मीर के साथ-साथ बिहार भी ले ले, उसी वक्त एक बिहारी की धूम समूची दुनिया में मची हुई है। पटना के गुरमीत सिंह पिछले 20 साल से हर रोज़ पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लावारिस वार्ड में बेसहारा मरीज़ों की सेवा में जुटे हैं। पीएमसीएच के लावारिस वार्ड का रख-रखाव आम तौर पर बेहद ख़राब है और वहां जाने से ख़ुद डॉक्टरों को भी डर लगता है, लेकिन गुरमीत सिंह न सिर्फ़ हर रोज़ वहां जाते हैं, बल्कि अपने हाथों से मरीज़ों के लिए थाली सजाते हैं, उन्हें खाना खिलाते हैं और उनके खा लेने के बाद उनकी जूठी थालियां धोते भी हैं। इतना ही नहीं, ऐसे लावारिस मरीज़ों को अपने पैसे से वे दवाइयां भी ख़रीदकर देते हैं।
गुरमीत सिंह को बेसहारा लोगों की इस अतुलनीय सेवा के लिए अब लंदन की एक संस्था द सिख डायरेक्टरी वर्ल्ड सिख एवार्ड से सम्मानित करने जा रही है। सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम करने वाले दुनिया के सौ सिखों में से उन्हें चुना गया है। उन्हे यह एवार्ड इस साल 19 नवंबर को उनके 60वें जन्मदिन पर दिया जाएगा।
गुरमीत सिंह की कहानी पहले पहल बिहार के क्षेत्रीय चैनल मौर्य टीवी पर दिखाई गई थी। इसे देखने के बाद उनकी सेवा भावना से और भी कई लोग प्रेरित हुए। मौर्य टीवी के तत्कालीन सीईओ मनीष झा के मुताबिक, उनकी कहानी उन्हें इतनी प्रेरणादायी लगी कि उन्होंने अपने चैनल पर एक नया कार्यक्रम शुरू कर दिया- “एक, द पावर ऑफ वन।“ इस कार्यक्रम में पेश की गई गुरमीत सिंह की कहानी आप यहां देख सकते हैं- https://www.youtube.com/watch?v=J1_P74nPcVY
गौरतलब है कि बाद में गुरमीत सिंह की कहानी अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की भी सुर्खियां बनी और बीबीसी से लेकर हफिंगटन पोस्ट तक ने उनकी रिपोर्टिंग की। जब काटजू साहब, बिहार की आलोचना करने में जुटे हुए हैं, तब क्या उनसे उम्मीद की जाए कि इस बिहारी की कहानी भी देखेंगे। शायद इससे उन्हें अहसास हो जाए कि बिहार के बारे में अपनी धारणा उन्हें बदलने की ज़रूरत है।