एक बार फिर पटना का लालू निवास लोगों, खासकर मीडिया के लिए खास जिज्ञासा का केंद्र बना रहा। गुरुवार को एक खास मुकालात लालू आवास पर एक खास शख्सियत के साथ संपन्न हुई। खास इसलिए कि लालू के यहाँ कोई बड़ा संत, ज्ञानी या विदूषक आ जाए, तो बात दब जाती है, परंतु इस बार तो जमकर चर्चा होनी थी। आखिरकार लालू के आवास पर एक ऐसे विधायक आए थे, जिनपर बलात्कार का मुकदमा चल रहा है और हाल ही में जो जमानत पर छूटकर जेल से बाहर आए हैं। पटना हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद पहली बार राजवल्लभ यादव, राजद विधायक, अब निलंबित, अपने गुरु-मार्गदर्शक-सुप्रीमो लालू प्रसाद से शायद दिशा-निर्देश लेने आए थे। पटना हाई कोर्ट से जमानत मिलने और 7 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुशासन द्वारा दायर जमानत रद्द करने की अर्जी पर सुनवाई के बीच लालू प्रसाद से कैसा मशविरा, कौन सा निर्देश या फिर कैसा आशीर्वाद लेने पहुंचे राजवल्लभ? पटना हाई कोर्ट ने जब पूर्व सांसद डॉन सजायाप्ता अपराधी शहाबुद्दीन को जमानत दी थी, तो उसके बाद सार्वजनिक तौर पर आशीष लेने लालू की चौखट पर नहीं आया। पंद्रह सौ गाड़ियों के काफिले का जितना बड़ा जौहर लोगों को दिखाया, उससे उसे कुछ फायदा नहीं हुआ, परंतु अब यदि सुप्रीम कोर्ट में कहीं राजवल्लभ को ज़मानत मिल जाती है, तो बिहार सरकार की हार को लालू अपनी जीत मानेंगे।
खैर होना तो जो होगा, होगा ही। बात करते हैं उसकी जो हुआ। पूर्व मंत्री विधायक (राजद) नवादा के राज वल्लभ पर आरोप है कि वे बीते 6 फ़रवरी को दसवीं की एक नाबालिग 15 वर्षीया बच्ची के साथ दुष्कर्म करते हैं, बच्ची गायब भी हो जाती है और 9 फ़रवरी को जब वापस लौटती है तो नालंदा में एक मामला उस पीड़ित लड़की द्वारा दर्ज कराया जाता है कि विधायक ने अपहरण कर जबरन उसके साथ यौन शोषण किया। इसके बाद फ़रवरी महीने में ही विधायक राजवल्लभ को दल से निलंबित कर दिया गया। बात यहीं तक नहीं रुकी, जब मामले ने तूल पकड़ा तो राजबल्लभ पर एक और आरोप लगा। लड़की को 30 हजार रुपये के एवज में मामला रफा-दफा करने की धमकी देने का। डीआईजी शालीन ने अनुसन्धान में मामले को सही पाकर कार्रवाई शुरू की। इस संगीन मामले में विधायक के साथ पांच और लोग आरोपी थे जिसमें सुलेखा देवी नाम की औरत की भूमिका अहम् थी। सुलेखा के पति की गिरफ़्तारी हुई, राजवल्लभ ने भी लाख कोशिश की अंतरिम जमानत मिल जाए, पर ऐसा नहीं हुआ। और जब विधायक की संपत्ति जब्ती और कड़ाई की गयी तो मजबूर हो 10 मार्च 2016 को कोर्ट में आत्मसमर्पण पर दिया। आरोपी विधायक पर IPC की धारा 376 और पॉक्सो कानून`2012 के तहत 205 पन्ने का आरोप पत्र दाखिल किया गया, लेकिन सितंबर महीने में पटना हाई कोर्ट से उन्हें जमानत भी मिल गयी। अब जब विधायक फिलहाल जमानत पर हैं, तो कहीं मन में डर न समा रहा हो कि साहेब (शहाबुद्दीन) की तरह ये भी सुप्रीम कोर्ट में गच्चा ना खा जाएं।
बहरहाल, अगर इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट राजबल्लभ के खिलाफ फैसला सुनाता है तो नीतीश कुमार को लालू की टीम के दो विश्वसनीय सिपाहियों को धराशायी करने का क्रेडिट मिल जाएगा। और अगर ऐसा होता है तो बताया जा रहा है कि यह लालू यादव और उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के लिए भी किसी झटके से कम नहीं होगा।