केजरीवाल के मंत्री संदीप कुमार की सेक्स सीडी केजरीवाल सरकार के लिए बड़ा झटका है. राजनीति का जो परंपरागत रुप था और जिस सड़ांध के खिलाफ एक नई राह बनाने की बात जो पार्टी करती आई, उसके मंत्रियों, विधायकों और सांसदों का अनैतिक, अराजक, अतिवादी और अश्लील होते जाना केजरीवाल की साख के पेड़ में मट्ठा डालने जैसा है. शाम पांच बजे के आसपास कहीं से एक सीडी आती है और साथ में उस लिफाफे में एक चिट््ठी भी होती है. चिट््ठी में बताया गया है कि सीडी में क्या है और संदीप कुमार की इस करतूत को देखकर उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए – यह गुहार भी है. नीचे नाम भी लिखा था. लाजिमी है उस आदमी ने सिर्फ इंडिया न्यू्ज को ही सीडी नहीं भेजी होगी बल्कि कुछ और चैनलों को भी भेजी होगी, इस लिहाज से सीडी देखते ही जरुरी तैयारी शुरु कर दी गई. फोटो का मिलान, वीडियो का मिसाल, पहचान के जितने पक्के चीन्ह होते हैं उन सबके आधार पर यह तय हो गया कि सीडीवाला आदमी तो संदीप कुमार ही है. लीगल टीम को भी मामला हर लिहाज़ से दुरुस्त लगा. केजरीवाल सरकार के अंदर खलबली मची हुई थी क्योंकि रिपोर्टर अलग अलग नेताओं से संदीप कुमार के बारे में बात करना चाहता था. संदीप कुमार को फोन किया गया तो पीए ने कहा बाहर हैं- यानी तबतक अंडरग्राउंड हो चुके थे. केजरीवाल को लग गया था कि बस कुछ ही मिनट में अनर्थ होनेवाला है- उन्होंने आसिम अहमद खान की तरह संदीप कुमार के मामले में भी खबर चैनलों पर चलने के बस कुछ ही देर पहले मंत्री पद से हटाने का फैसला ले लिया. लेकिन नीयत दुरुस्त तभी मानी जाएगी जब आप सचमुच सीडी मिलने के आधे घंटे के अंदर कार्रवाई कर बैठे हों जैसा मनीष सिसोदिया कह रहे हैं. जिस आदमी ने सीडी दी वो कह रहा है कि उसको पता है कि केजरीवाल जी को सीडी १५ दिन पहले दे दी गई थी. अगर यह साबित हो जाता है तो फिर वाजिब सवाल उठेगा कि मुख्यमंत्री अबतक क्या कर रहे थे? संदीप कुमार की सीडी को देखें तो उसमें ११ फोटो हैं जिनमें से सात में लग रहा है कि उन तस्वीरों को संदीप ने खुद लिया था- सेल्फी की तरह. जो ९ मिनट के आसपास का वीडियो है उसके आखिरी फ्रेम में वो कैमरा हटाते हुए से लगते हैं, जैसे कैमरा उन्होंने ही लगा रखा हो. सवाल ये है कि संदीप कुमार उन हालात में अपनी तस्वीरों और वीडियो के लिए इतने उतावले क्यों थे? नैतिकता के साथ साथ ऐसी सनक भी एक सवाल तो है ही.
यह सेक्स सीडी पंजाब और गोवा के चुनावों में केजरीवाल को नाको चने चबवा देगी. पंजाब का आप का सांसद संसद में शराब का भभका मारता रहता है, संसद में जाने का वीडियो बनाकर भी शेखी बघारता रहता है, किसी के यहां अंतिम संस्कार में पीकर पहुंचता है और उसकी हैसियत बाकायदा दुरुस्त रहती है. क्या यह नैतिकता है? योगेंद्र यादव जैसे लोग अब कहने लगे हैं कि पंजाब में आप के दिल्ली से जानेवाले नेता टिकट देने के नाम पर महिलाओं का शोषण कर रहे हैं. क्या पता एक रोज पंजाब से भी कोई सीडी आ जाए. वैसे, जीतेंद्र तोमर के बाद आसिम अहमद खान और अब संदीप कुमार – यानी आप के तीन मंत्रियों का संगीन मामलों में निपटना आप के रास्ते पर लैंडमाइन्स की तरह नहीं है? अरविंद केजरीवाल ने चुनाव जिस आधार पर जीता था वो लगातार खिसकता जा रहा है. ईमानदारी, जन भागीदारी, भ्रष्टाचार- विरोधी, नैतिकता और पारदर्शिता बरतनेवाली व्यवस्था का दावा करनेवाली सरकार की सारी चूलें ढीली पड़ने लगी हैं. अरविंद केजरीवाल को अपने तेवर बदलने होंगे वर्ना…